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आज की क्रैकिंग न्यूज़: याकूब मेमन को न ज़न्नत मिली न 72 हूरें, कसाब ने दिखाया बाबा जी का ठुल्लू.
आज की सबसे बड़ी खबर ये है कि बहुत से फेसबुकिया और स्वघोषित कानून के जानकारों की लाखों दलीलों और रोने धोने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याकूब की आखिरी अर्ज़ी भी खारिज़ कर दी.
सुबह सुबह ही याकूब को टांग दिया गया.
वैसे ये खबर आपको बताने से कोई फायदा ही नहीं क्योंकि सवेरे से सारे न्यूज़ चैनल वाले याकूब की फांसी और उसके बाद की चीज़ों को ऐसे दिखा रहे है जैसे याकूब मेमन नहीं गाँधी जी की मौत का लाइव टेलीकास्ट चल रहा है.
साले सब के सब टी आर पी के भूखे टुचिये है.
ये भोपड़ी वाले हिन्दू मुस्लिम तनाव बढ़ाने के लिए याकूब के नाम पर नाटक कर रहे है पर ये भूल जाते है कि दो दिन पहले एक मुस्लिम की मृत्यु पर पूरे देश ने शोक मनाया था.
हिन्दू मुस्लिम की समस्या अगर ना भी हो तो भी ये चैनल वाले और वेल्ले फेसबुक के महान लोग लड़ाई करवाने के लिए रोज़ नए नए दांव पेंच लगाते रहते है.
चलो जाने दो अपना क्या अपने को तो खबर सुनाना है, वो खबर जो कोई नहीं बताता. तो चलिए आपको सीधा ले चलते है ज़ह्न्नुम में जहाँ पर अभी अभी याकूब मेमन का बहुत बड़ा टूचिया कट गया है.
जहन्नुम टाइम्स की एक्सक्लूसिव खबर में बताया गया है कि फांसी के बाद याकूब जब ऊपर ख़ुदा के पास फैसले के लिए पंहुचा तो पूरी तरह से आश्वस्त था कि ना सिर्फ उसे जन्नत नसीब होगी बल्कि 72 हूरें पलकें बिछाये अपने सरताज का इंतज़ार कर रही होगी.
पर जैसे ही फैसला सुनाया तो कुछ ऐसा हुआ जैसे सनी लिओनी की फिल्म देखने गए इंसान को धोखे से आर्य बब्बर की फिल्म दिखा दी जाए.
ऊपर जाते ही ऊपर वाले ने सनी देओल स्टाइल में फैसला सुनाते हुए याकूब के पिछवाड़े लात रसीद कर सीधा जहन्नुम पहुंचा दिया.
जहन्नुम के दरवाजे पर ही अजमल कसाब ने खीसे निपोरते हुए याकूब का स्वागत किया और पीछे से अफज़ल गुरु ने कहा बन गए न टुचिये तुम भी. न जन्नत मिलेगी न 72 हूरें यहाँ मिलेगा बाबाजी का टुल्लू वो भी पिछवाड़े में.
ये सुनते ही याकूब मेमन के होश उड़ गए और उसने ऊपर वाले कोर्ट में याचिका दायर की कि उसे जहन्नुम में भेजने के फैसले पर पुनर्विचार किया जाए.
जहाँ जहन्नुम वाले याकूब का मजाक उड़ा रहे थे वही जन्नत में रहने वाले कुछ लोग जहन्नुम के दरवाजे पर आकर याकूब को इन्साफ दो के नारे लगा रहे थे.
जब इस घटना की जानकारी ख़ुदा तक पहुंची तो ख़ुदा ने सीधा फैसला करते हुए कहा कि जिसको भी लगता है याकूब की असली जगह जहन्नुम नहीं जन्नत है वो उसके साथ जगह बदल सकते है.
ख़ुदा का ये कहना था की सारे के सारे जन्नतनशीं जो याकूब के नाम पर घडियाली आंसू बहा रहे थे उलटे पैर भाग गए और सुना है कि अब वो कलाम सलाम कलाम सलाम कर रहे है.
आखिर क्या करे जन्नत हो या जहन्नुम या फिर चाहे धरती ही क्यों न हो टी आर पी तो सबको ही चाहिए ना.
टी आर पी तो हमें भी चाहिए पर क्या करें लोगों को अब तक क्रैकिंग न्यूज़ और ब्रेकिंग न्यूज़ का अंतर ही समझ नहीं आया.
चलिए जाने दीजिये आज की बात यहीं खत्म करते है
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