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मात्र दस वर्ष की उम्र में शिवाजी महाराज ने गौ माता के लिए लड़ी थी एक लड़ाई ! पढ़िए बालक शिवाजी ने कैसे खट्टे कर दिए थे दुश्मन के दांत

हिन्दू धर्म में गाय का महत्त्व आज से नहीं बल्कि हजारों सालों से रहा है.

जो लोग यह बोलते हैं कि हिन्दू पूर्वज गो-मांस खाते थे तो उनको अब इतिहास के अन्दर झांककर देखना चाहिए.

अगर हिन्दू इतिहास के सबसे बड़े गौ-भक्तों के नाम के जगह लिखे जायें तो शिवाजी महाराज का नाम शुरूआती क्रम में रहेगा.

लेकिन जिस तरह से हमारे इतिहास से खिलवाड़ किया गया है उसका उदाहरण आज हम आपको पेश करने वाले हैं. हम अगर बोलते हैं कि हिन्दू इतिहास से खिलवाड़ किया गया है तो बुद्धिजीवी लोग इसका उदाहरण मांगते हैं. आज हम आपको शिवाजी महाराज की ऐसी कहानी बताने वाले हैं जो अब इतिहास से हटा दी गयी है.

गौ भक्त शिवाजी महाराज के लिए गाय सदैव पूजनीय रही थी. वह हमेशा बोलते थे कि गाय हिन्दू धर्म की शान है. जो भी इसको मात्र पशु समझ रहा है वह अज्ञानी है. खुद शिवाजी महाराज की दिनचर्या में गौ माता की सेवा शामिल थी. ऐसा ही एक किस्सा है, जो अब भूला दिया गया है. बचपन से ही शिवाजी गाय को आदरणीय और पूजनीय मानते थे और मात्र 10 वर्ष की आयु में ही शिवाजी ने यह सिद्ध कर दिया था कि उनका जन्म पापियों का नाश करने के लिए ही हुआ है.

जब शिवाजी महाराज ने गौ माता के लिए काट दिया था कसाई का सर

हिन्दवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज ने राज्याभिषेक के पश्चात् गो ब्राह्मण प्रतिपालक की उपाधि धारण करके स्वयं को गौरवान्वित किया था.

यह घटना शिवाजी महाराज के बाल्यकाल की है.

अपने पिता के साथ वे बादशाह के यहाँ जा रहे थे. यह बात बीजापुर की है. शिवाजी महाराज बचपन से हिन्दू लोगों के प्रिय भी थे. जब पिता और पुत्र दोनों रास्ते से गुजर रहे थे तो दोनों देखते हैं कि रास्ते में एक कसाई गाय को घसीटते हुए ले जा रहा था और वहां के बाजार के हिन्दू सर झुकाए बैठे हुए थे. मुग़ल शासन था, कौन क्या कर सकता था? उस समय शिवाजी की उम्र दस वर्ष की थी. कुछ इतिहास की पुस्तकें बताती हैं कि लोगों के मन में मुग़ल शासन का ऐसा डर था कि वह कुछ नहीं बोलते थे. हिन्दू मंदिर तोड़े जा रहे थे, गायों का क़त्ल हो रहा था और घर से बहू-बेटियां उठाई जा रही थीं. किन्तु कोई भी कुछ नहीं बोलता था.

जब बालक गौ भक्त शिवाजी यह देखते हैं कि कसाई गो-माता पर अत्याचार करते हुए, उनको काटने ले जा रहा है वह तभी अपनी तलवार निकालते हैं और पहले तो गाय की रस्सी काटकर उसे बंधन मुक्त करते हैं और वह कसाई कुछ कहता इससे पहले ही उसका सर धड़ से अलग कर देते हैं.

जब हिन्दुओं ने देखी बालक की बहादुरी

जब हिन्दू लोगों ने एक बालक गौ भक्त शिवाजी की इतनी बहादुरी देखी तो सबसे अन्दर जैसे नई ऊर्जा शक्ति का संचार हो गया था.

इस बात का जब बादशाह को पता चला तो वह कोई भी कार्यवाही इसलिए नहीं कर सका था क्योकि एक तो यह कार्य करने वाला एक बालक था और दूसरा कि उस समय सभी हिन्दुओं का साथ गौ भक्त शिवाजी को प्राप्त हो गया था.

लेकिन कुछ इतिहासकारों ने गौ भक्त शिवाजी की इस वीरतापूर्ण कहानी को किताबों से हटवा दिया ताकि हिन्दू इस कहानी को ना पढ़ सकें.

आज आवश्यकता है कि इस तरह की कहानियों को एक जगह एकत्रित किया जाये ताकि आने वाली पीढ़ियों तक सही इतिहास पहुँचाया जा सके.

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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