चिलचिलाती धूप और गर्मी से निजात दिलाने मानसून इस साल 17 दिन पहले ही पुरे देश में पहुंच गया है.
मौसम विभाग की ओर से कहा गया है कि मानसून अपने अंतिम पड़ाव पश्चिमी राजस्थान के श्रीगंगानगर में पहुंच गया है, जहां इसके पहुंचने की सामान्य तिथि 15 जुलाई थी.
मानसून जहां लोगों के चहरे पर खुशी लता है वही देश के कुछ जगहों पर परेशानी का करना बन जाता है. मानसून तो लोगों को गर्मी से रहता दिलाता है और साथ ही ट्रैफिक, शहर में पानी भरने की समस्या आदि भी आ जाता है .
आइए जाते है कि मानसून से देश के कौन से हिसे में परेशानी होती है :
मायानगरी जलमग्न हुई:
‘मुंबई में बारिश, जलमग्न हुई मायानगरी’.. कुछ ऐसी हेडलाइन्स हमेशा मुंबई में मॉनसून आते ही बन जाती हैं. हर साल मुंबई में जून-जुलाई और कभी-कभी अगस्त का महीना इसी वजह से सुर्खियों में रहता है. मायानगरी की माया मानसून हर साल ले जाता है. चाहें कुछ भी हो वहां बदलाव नहीं होते. वह के ड्रेनेज सिस्टम ख़राब होने के वजह से पानी पुरे शहर में ही रहा जाता है. थोड़ा सा भी बारिश होने से लोगों को घर से निकल मुश्किल हो जाता है और ट्रैफिक कि तो कोई बात ही नहीं. बच्चों कि स्कूल्स तक बंद हो जाती है.
उत्तराखंड में भूस्खलन :
‘उत्तराखंड में बादल फटा, भूस्खलन से लोग परेशान’.. कुछ ऐसी हेडलाइन्स हर साल बारिश के बाद उत्तराखंड से आती है. ज्यादा बारिश से वहां भूस्खलन की खबरें भी आती ही रहती हैं. रास्ते भी बारिश के समय बंद कर दिया जाता है. करीब डेढ़ घंटे की झमाझम बारिश से उत्तराखंड के कई इलाकों में पानी भर जाता है. ज्यादातर नालियां और नाले उफान पर आ जाते है. सड़कों पर भी पानी भरने के कारण पैदल चलने वालों को भी दिक्कत झेलनी पड़ती है.
बिहार, असम में बाढ़ :
‘बिहार और असम में बाढ़, बेघर हुए हज़ारों लोग’.. असम और बिहार की नदियां हर साल मॉनसून में उफान पर आ जाती हैं और बंगाल की खाड़ी में चल रहे बदलाव का असर इन दोनों के साथ-साथ ओड़ीसा पर भी पड़ता है. सभी जगह मॉनसून के सीजन में बाढ़ आ ही जाती है. कई लोग घर से बेघर हो जाते है. कई लोगों की जान भी चली जाती है. जहां किसान मानसून का इंतज़ार करते है की फसल अच्छी हो जाए, वही मानसून उन फसल के साथ साथ लोगों की जान भी ले जाता है.
चेन्नई में तूफान :
‘चेन्नई में फिर Cyclone’.. चेन्नई ऐसी जगह बसा हुआ है कि वहां बंगाल की खाड़ी उसके बगल में है. ऐसे में चक्रवात या तूफान चेन्नई में आम बात है. वहां के लोग भी अब इस बात को जानते हैं और तैयार हमेशा रहते हैं. और ये cyclone ज्यादातर मानसून के सीजन में ही आता है.
राजस्थान, दिल्ली में आंधी :
मानसून के साथ साथ ‘राजस्थान और दिल्ली में आंधी, कई जगह गिरे पेड़’ की खबरें चलने लगती है .यही नहीं मानसून आते आते दिल्ली के सड़कों पर पानी भरने लगता है जैसे सड़कों पर घंटो -घंटो का जम लगा रहता है.
यह के लोगों के चहरे पर मानसून आने से जितनी खुशी नहीं होती है उतनी ही दुख होती है की अब पुरे मानसून मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.
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