योगी के खिलाफ साजिश – क्या उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ गुजरात जैसी साजिश हो रही है.
ऐसी आशंका इसलिए व्यक्त की जा रही है क्योंकि हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश में कुछ ऐसी घटनाएं घटी, जिससे लगता है कि नरेंद्र मोदी की तरह योगी के खिलाफ भी दंगों का कलंक लगाने की साजिश हो रही है.
बता दें कि बीते एक माह में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में दलितों को निशाना बनाकर दो घटनाएं घटी.
पहली घटना 14 अप्रैल को घटी जब अम्बेडकर जयंती के दिन शोभा यात्रा निकाल रहे दलितों पर मुस्लिम समुदाय द्वारा हमला किया गया.
दूसरी घटना 5 मई की है जब जिले के शब्बीरपुर गांव में दलितों और राजपूतों का संघर्ष हुआ. इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई. बताया जाता है कि महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापना के लिए निकाली जा रही शोभा यात्रा पर गांव के प्रधान के इशारे पर हमला किया गया.
जिसके जवाब में राजपूतों ने दलितों के घरों पर हमला कर उनके घर फूंक दिए. ऐसे में सवाल है कि दोनों ही घटनाओं में दलित ही क्यों निशाने पर है. राजनीतिक जानकारों की माने तो हो सकता है इसके पीछे कोई सुनियोजित साजिश भी हो सकती है.
क्योंकि दोनों ही घटनाएं बिना किसी ठोस कारण के हुई हैं. पहली घटना को देखें तो उसमें यदि दलित और मुस्लिमों के बीच दंगा होता तो मुजफ्फरनगर से सटे इस जिले में हालात बेकाबू हो सकते थे.
आपको बता दें कि सहारनपुर सांप्रदायिक रूप से बेहद सवेंदनशील जिलों में गिना जाता है.
उस वक्त विपक्ष योगी आदित्यनाथ के कट्टरपंथी मुस्लिमों के खिलाफ दिए पुराने बयानों को दिखाकर नरेंद्र मोदी की तरह दंगों का कलंक मढ़ देता. वहीं इस घटना में दलितों को यदि जानमाल का नुकसान होता कहा जाता कि योगी शासन में दलितों पर इसलिए अत्याचार हो रहे हैं क्योंकि ऐ तो उन्होंने भाजपा को वोट नहीं दिया दूसरे भाजपा एक मनुवादी पार्टी है. और फिर इस मुद्दे को सियासी हवा देकर पूरे देश में भाजपा के खिलाफ माहौल बनाकर विपक्ष उसका राजनीतिक लाभ उठाता.
इसी प्रकार दूसरी घटना में निशाना दलित ही थे. 5 मई को यदि शब्बीरपुरा में दलित और राजपूतों के संघर्ष में यदि दलितों के साथ कोई बड़ी अनहोनी घटना घट जाती जैसा की संभव भी था तो उस वक्त योगी को दलित विरोधी बताकर भाजपा के खिलाफ उसका प्रचार किया जाता.
जैसा कि गुजरात में मुसलमानों को लेकर नरेंद्र मोदी के खिलाफ किया था.
योगी के खिलाफ ऐसी साजिश की आशंका में इसलिए भी दम है क्योंकि जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार बनी है तब से स्वयंभू सेक्यूलरवादियों और उनके समथर्क मीडिया ने एक एजेंडे के तहत दलित और मुस्लिम अभियान चलाया है.
इसका एक ही मकसद था कि मोदी सरकार की छवि एक दलित विरोधी सरकार की बनाई जाए. रोहित वेमुला से लेकर गुजरात के उना की घटनाओं को रणनीति की तहत जानबूझ कर उछाला गया है.
योगी को बदनाम करने की आशंका इसलिए भी निर्मूल नहीं है क्योंकि हरियाणा में जाट समुदाय को भाजपा से राजनीतिक रूप से अलग करने के लिए विपक्ष ने जाट आरक्षण को जानबूझकर हवा देकर उसे हिंसक बनाया.
एक आडिया रिकार्डिंग में इस बात का खुलासा भी हुआ था. इसलिए ये कहना कि योगी के खिलाफ नरेंद्र मोदी की तरह दंगों का कलंक लगाने की साजिश चल रही है गलत नहीं होगा.