मंत्रियों के घोटाले – जिस देश का हर मंत्री घोटाले करता हो उसे लोकतंत्र नहीं बल्कि घोटालों का देश घोषित कर देना चाहिए।
जी हां, हमारा प्यारा भारत देश इसी राह पर अग्रसर है जहां हर मंत्रियों के घोटाले देश को लूट रहे है।
वैसे देखा जाए तो अंग्रेज़ों ने भारत को इतना भी नहीं लूटा था जितना खुद यहां के मंत्रियों ने इसे लूटकर कंगाल बना दिया है। जब अंग्रेज़ों ने भारत छोड़ा था उस में भारत इतना भी गरीब नहीं था कि फिर से दुनिया की सोने की चिडिया ना बन सके। अगर मंत्रियों के घोटाले नहीं होते और वो सही तरीके से काम करते तो देश में आज इतनी गरीबी और भ्रष्टाचार ना फैला होता।
आखिर ऐसा क्या है जो हर मंत्री घोटाले करता है और ईमानदारी से काम करना उसे अपना दुश्मन लगता है।
आज हम आपको बताएँगे मंत्रियों के घोटाले क्यों होते है – सरकारी नौकरों के इसी सच से रूबरू करवाने वाले हैं कि वो किस तरह देश को लूटने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
मंत्रियों के घोटाले –
१ – पैसा देखकर फिर जाती है नीयत
ऐसा जरूरी नहीं है कि जो कोई भी मंत्री के पद पर बैठा है वो कोई बड़ा आदमी है। कई लोग नीचे तबके से उठकर मंत्री के पद तक पहुंचते हैं। आप तो जानते ही हैं कि मंत्रियों के पास पैसे के साथ-साथ पॉवर भी होती है। जनता की सेवा के लिए मंत्रियों को जो कोष दिया जाता है उसे देखकर इन नौकरों की नीयत डगमगा जाती है और ये उसका आधा हिस्सा भी जनता पर खर्च करना जरूरी नहीं समझते। सबसे पहले तो ये उससे अपनी तिजोरी भरते हैं और फिर जो बचा-कुचा होता है उसे जनता की भलाई में लगा देते हैं। कुछ ऐसा ही होता है भारत के मंत्रियों के दिल में।
२ – नहीं होती देश सेवा की इच्छा
सेना जैसे क्षेत्रों में जवान इसलिए भर्ती होते हैं क्योंकि उनमें देशसेवा का जज्बा होता है लेकिन मंत्रियों के साथ ऐसा नहीं है।
वो मंत्री पद पर इसलिए पहुंचते हैं क्योंकि उन्हें देश सेवा नहीं बल्कि अपने और अपने परिवार का पेट पालना होता है। भले ही उनके पास खूब धन-दौलत हो लेकिन सरकारी पैसे पर ऐश करने का उनका शौक होता है। शायद इसी शौक को पूरा करने के लिए वो मंत्री बनने की शपथ लेते हैं क्योंकि शायद ही आज देश में कोई ऐसा नेता हो जो देश सेवा के लिए मंत्री बना हो।
अब आप दिल्ली के सीएम केजरीवाल जी को ही ले लो। वो भी आम आदमी से दिल्ली के खास बन गए। मंत्री बनने से पहले तो केजरीवाल जी ने भोली जनता से खूब वायदे किए लेकिन सीएम बनते ही उनके वायदे ठंडे बस्ते में चले गए। कोई नहीं जानता कि वो अपने वायदों से फिर गए। कहां तो उन्होंने सीएम बनने से पहले कहा था कि वो सरकारी आवास नहीं लेंगें और ना ही कोई सरकारी सुविधा लेंगें लेकिन अपनी सरकार बनते ही उन्होंने सरकारी आवास भी ले किया और सभी सुविधाएं भी।
इस तरह से होते है मंत्रियों के घोटाले – उन्हें देखकर आप समझ ही सकते हैं कि मंत्रियों का मन सरकारी नौकरी बनने के बाद क्यों बदल जाता है और देश सेवा की जगह घोटोले क्यों करने लगते हैं।
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