कॉर्पोरेट कर्मचारी – कॉर्पोरेट जगत में काम का टेंशन और टारगेट इतना ज्यादा रहता है कि यहां काम करने वाले करीब 56 फीसदी कर्मचारी दिन में 6 घंटे से भी कम नींद लेते हैं।
काम की वजह से कॉर्पोरेट जगत में काम करने वाले हमेशा टेंशन में रहते हैं और टारगेट वाली जॉब हो तो कहने ही क्या।
ऑफिस के तनाव और काम का असर नींद पर पड़ता है।
एसोचैम हैल्थकेयर समिति की रिपोर्ट में सोमवार को यह जानकारी दी गई। वहीं सरकारी विभागों में इसका उल्टा है। सरकारी नौकरी करने वाले लोग जब मन करता है तब काम करते हैं।
कॉर्पोरेट कर्मचारी की नींद –
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि एंप्लॉयर की ओर से अनुचित और अवास्तविक लक्ष्य देने की वजह से कर्मचारियों की नींद उड़ जाती है और इस वजह से उन्हें थकान, शारीरिक परेशानी, मनोवैज्ञानिक तनाव, प्रदर्शन में गिरावट और शरीर में दर्द जैसी परेशानियां होती हैं और इस वजह से वो जरूरत से ज्यादा छुट्टियां लेने लगते हैं।
रिपोर्ट की मानें तो नींद में कमी की सालाना लागत 150 अरब डॉलर है क्योंकि इससे ऑफिस में काम करने क्षमता घट जाती है। काम के दबाव, कॉम्पीटिशन और खडूस बॉस की वजह से भी लोगों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में वर्कफोर्स का करीब 46 फीसदी हिस्सा तनाव से जूझ रहा है और यह तनाव निजी कारणों, ऑफिस पॉलिटिक्स या काम के बोझ की वजह से हैं। इतना ही नहीं मेटाबॉलिक सिंड्रोम के मामले भी बढ़ रहे हैं। इसमें मधुमेह, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और उच्च कोलेस्ट्रॉल आदि शामिल हैं।
रिपोर्ट की मानें तो सर्वे में शामिल 16 फीसदी लोग मोटापे से ग्रस्त थे और 11 फीसदी लोग अवसाद से। हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ से पीडित लोगों की संख्या लगभग 9 फीसदी और 8 फीसदी है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि स्पॉन्डिलाइटिस के 5 फीसदी, ह्रदय रोग के 4 फीसदी, सर्वाइकल के 3 फीसदी, अस्थमा के 2.5 फीसदी, स्लिप डिस्क के 2 फीसदी और अर्थराइटिस के 1 फीसदी जैसी बीमारियां कॉर्पोरेट कर्मचरियों में फैली हुई हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि अवसाद, थकान और नींद विकार ऐसी स्थितियां या जोखिम हैं जो अकसर पुरानी बीमारियों से जुड़ी होती हैं। इसका उत्पादकता पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है।
अगर आप भी कॉर्पोरेट वर्ल्ड में काम करते हैं तो अब आपको संभल जाना चाहिए। आपको ये बात समझनी चाहिए कि सेहत है तो सब कुछ है और अगर आप स्वस्थ रहेंगें तो अपने काम को बेहतर तरीके से कर पाएंगें इसलिए काम या अन्य किसी और चीज़ से पहले अपनी सेहत को अहमियत दें।
शायद इस खबर को पढ़ने के बाद आपको समझ आ जाए कि किस वजह से लोग सरकारी नौकरी को सबसे बेहतर मानते हैं।
इसमें काम की तो कोई टेंशन होती ही नहीं है साथ ही सेहत भी बढिया रहती है। अब सबको तो सरकारी नौकरी मिल नहीं सकती तो आपको अपनी नौकरी से ही खुद को संतुष्ट करना पड़ेगा।
ये है कॉर्पोरेट कर्मचारी की कहानी – हर किसी को बढिया और मोटी सैलरी वाली नौकरी नहीं मिलती और जिसको जो मिल जाए उसके लिए वही कम होता है लेकिन आपको खुद को संतुष्ट रखने की कोशिश करनी चाहिए।