यह बात सत्य हैं कि भगवान् परशुराम एक ब्राहमण थे, लेकिन उनके शस्त्रज्ञान के कारण वह हमेशा क्षत्रिय ही कहे जाते थे.
परशुराम ने शस्त्र विद्या में इतनी कुशलता प्राप्त कर ली थी कि पितामह भीष्म, गुरु द्रोण और कर्ण जैसे महारथी भी भगवान् परशुराम को शस्त्र विद्या में अपना गुरु मानते थे. परशुराम के अनुसार शस्त्रविद्या तो आवश्यक थी लेकिन उनके अनुसार मनुष्य को अपने शरीर के अलावा मन से मजबूत होना ज्यादा ज़रूरी हैं और जब हम मन से मजबूत होकर अपनी उर्जा का शारीरिक रूप में इस्तेमाल करते हैं तो शारीरिक रूप से भी हम इतने शक्तिशाली हो जाते हैं कि उसकी कल्पना करना भी मुश्किल होता हैं.