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बारिश में आपकी आँखों को कन्जकटीवाईटिस से बचाने के लिए ये उपाय करे!

बारिश के मौसम में ज्यादातर लोग कन्जकटीवाईटिस यानि आंखों के रोग के शिकार हो जाते हैं.

आंखों के इस रोग को आम भाषा में आंख आना भी कहते हैं. इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की आंखों में सूजन आ जाती है जिसकी वजह से आंखों में बहुत ज्यादा तकलीफ होती है.

ये कहा जाता है कि इस बीमारी के कीटाणु सात दिन तक जीवित रहते हैं, उसके बाद ही उनका असर खत्म होता है. तब तक इससे पीड़ित व्यक्ति को राहत नहीं मिलती है. लेकिन दर्द निवारक गोलियों और एंटिबायोटिक आई ड्रॉप की मदद  से थोड़ी राहत जरूर मिलती है.

बारिश में अपनी आंखों की अच्छी देखभाल करके खुद को कन्जकटीवाईटिस से बचाया जा सकता है लेकिन इससे पहले इसके लक्षण और कारणों को जानना भी ज़रूरी है.

कैसे होता है कंजक्टिवाइटिस ?

बारिश में पनपनेवाली मक्खियां इस बीमारी के लिए ज़िम्मेदार हो सकती हैं. हालांकि कन्जकटीवाईटिस से आंखों की रोशनी को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है लेकिन जब तक यह ठीक नहीं होती है तब तक मरीज़ बैचेन रहता है.

बैक्टीरिया और वायरस के ज़रिए इस बीमारी का संक्रमण तेज़ी से फैलता है. धूल, धूप और धुएं किसी से भी कन्जकटीवाईटिस भड़क सकता है.

जिन बच्चों को एलर्जी के कारण जल्दी ही सर्दी-खांसी और अस्थमा हो जाता है उन्हें कन्जकटीवाईटिस भी जल्दी होता है.

इस रोग का वायरस संक्रमित मरीज़ के उपयोग की किसी भी वस्तु जैसे रूमाल, तौलिया, टॉयलेट की टोंटी, दरवाजे का हैंडल, टेलीफोन के रिसीवर से दूसरों तक पहुंचता है.

कन्जकटीवाईटिस के लक्षण

  कन्जकटीवाईटिस का सबसे आम लक्षण है आंखों में जलन और रेत कणों के अंदर होने का एहसास होना.

  आंखों की अंदरूनी पलकें और आंखों के घेरे लाल सुर्ख हो जाते हैं और आंखों में सूजन आ जाती है.

  आंखों में खुजली होती है और आंखों से लगातार पानी भी गिरता है.

  सुबह सोकर उठने पर दोनों पलकें आपस में चिपकी हुई मिल सकती हैं और वे तेज रोशनी के प्रति संवेदनशील हो जाती हैं.

ऐसे करें आंखों की देखभाल

  कन्जकटीवाईटिस के वायरस आंखों को गंभीर नुकसान तो नहीं पहुंचाते हैं लेकिन अगर आपको बैक्टीरिया से संक्रमण होने की आशंका हो तो ऐसे में नेत्र रोग विशेषज्ञ से सलाह लें.

  अगर आंखों का विशेषज्ञ कोई एंटीबायोटिक ड्रॉप या मरहम लगाने की सलाह दे तो उसे समय पर अपनी आंखों में लगाएं.

  बर्फ की सिंकाई और दर्द निवारक से भी कन्जकटीवाईटिस से आंखों में होनेवाली जलन से राहत मिलती है.

–  मरीज अपनी आंखों को हल्के गुनगुने पानी में भिगोए हुए रुई के फाहों से साफ कर सकते हैं. इससे पलकों को राहत मिलती है तथा वे चिपकती भी नहीं.

  रात को मरहम लगाकर सोने से पलकों के चिपकने की समस्या से भी छुटकारा मिल सकता है.

अगर आपकी आंखे कन्जकटीवाईटिस के बैक्टीरिया से संक्रमित हो जाए तो नियमित धूप का चश्मा पहनें हो और सके तो बाहर जाने से बचें.

बहरहाल इन तरीकों से अपनी आंखों की देखभाल करके आप अपनी आंखों को बारिश के मौसम में भी स्वस्थ रख सकते हैं और अगर कन्जकटीवाईटिस हो भी जाए तो उससे जल्दी आराम भी पा सकते हैं.

Anita Ram

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Anita Ram

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