कुछ भी हो नरेंद्र मोदी प्रधानमन्त्री नहीं बनने चाहिए…
कैसे भी करके हवा ख़राब करनी है.
ये सब बातें कोई कल्पना नहीं ये सब हकीकत है.
UPA सरकार की काली हकीकत. किस तरह UPA सरकार ने एक आतंकवादी को निर्दोष दिखाकर नरेंद्र मोदी को फंसना चाहा. साथ ही साथ मुस्लिम कार्ड भी खेला.
इशरत जहाँ का एनकाउंटर पिछले कुछ समय से मोदी के विरोधियों के लिए एक पका पकाया मुद्दा था लेकिन पिछले कुछ दिनों में ऐसा लगता है कि इशरत का जिन्न बोतल से निकल आया है और इस बार उसका शिकार मोदी नहीं UPA और सोनिया गाँधी है.
डेविड हेडली ने सबसे पहले खुलासा किया कि इशरत जहाँ कोई मासूम लड़की नहीं बल्कि लश्कर के आत्मघाती दस्ते की सदस्य थी.
हेडली के इस खुलासे के बाद अरविन्द केजरीवाल से लेकर नितीश कुमार सब अपने पिछले बयानों से पलटते नज़र आये.
इशरत को बिहार की बेटी बताने वाले नितीश ने कहा कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा, वहीँ दूसरी ओर इशरत के नाम पर नरेंद्र मोदी को पानी पी पीकर कोसने वाले अरविन्द केजरीवाल भी इशरत जहाँ के बारे में पूछे गए सवालों से अब कन्नी कटते नज़र आते है.
हेडली के खुलासे के बाद भी कांग्रेस और वाम दल के कुछ सदस्य कहे जा रहे थे कि NDA सरकार कैसे एक आतंकवादी के बयान को सच मान सकती है.
चलिए ये मान लिया कि डेविड हेडली शायद झूठ बोल रहा हो लेकिन अब लगातार UPA सरकार में उच्च पदों पर रहे नौकरशाहों के खुलासे के बाद कांग्रेस की पोल खुलती नज़र आ रही है.
एक के बाद एक व्यक्ति उसी बात को दोहरा रहा है और बता रहा है कि सरकार हासिल करने के लिए और नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री की कुर्सी तक ना पहुँचने देने के लिए जब कांग्रेस के सब हथकंडे नाकाम होने ले तो कैसे इशरत जहाँ के नाम पर UPA सरकार और सोनिया गाँधी के विश्वासपात्रों ने एक घटिया साजिश रचकर आखिरी दांव खेला.
UPA कार्यकाल में होम सेक्रेटरी रहे G k पिल्लई ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि उस समय की सरकार ने जान बूझ कर तथ्यों को छुपाया और इस तरह दर्शाया कि इशरत जहाँ और तीन अन्य आतंकवादी जो लश्कर ए तैय्यबा के थे उन्हें आम आदमी बनाकर दर्शाया और उनके एनकाउंटर को फर्जी एनकाउंटर बताया गया.
पिल्लई ही नहीं गुप्तचर संस्था IB के पूर्व अधिकारी ने भी इस बात की पुष्टि की है कि नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने और वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए ये घटिया चाल चली गयी थी.
इन सबके पीछे कांग्रेस हाई कमान के इशारे पर पी. चिदम्बरम काम कर रहे थे. पिल्लई के अनुसार अफ्फिडेविट में फेरबदल खुद मंत्री चिदम्बरम ने किया था.
मंगलवार को गृह मंत्रालय में उस समय कार्यरत सेक्रेटरी RVS Mani ने दो अफ्फिडेविट दाखिल किये जिनमें उस समय की गयी फेरबदल की जानकारी थी.
इतना ही नहीं इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार इशरत के एनकाउंटर के तीन दिन बाद ही इशरत के बारे में जम्मू कश्मीर सरकार को जानकारी देने वाले दो आतंकवादियों की भी एक मुठभेड़ में मौत हो गयी.
कहा जाता है कि इशरत से जुडी जानकारी छुपाने के लिए ये सब किया गया था.
पिल्लई ने ये भी बताया कि इशरत और बाकि तीन आतंकवादियों के बारे में इंटेलिजेंस ब्यूरो को पहले से पता चल गया था और इशरत सहित लश्कर के अन्य आतंकियों को जाल में फंसाकर मारा गया था.
ब्यूरो को जानकारी मिल गयी थी कि लश्कर के आतंकी गुजरात में किसी VIP नेता की हत्या की साजिश कर रहे है और एनकाउंटर के समय गुजरात पुलिस के साथ भारत की गुप्तचर संस्था भी काम कर रही थी और ये एक सफल मिशन था.
इशरत का केस लड़ने वाली वकील का कहना है कि इस केस के पीछे राजनीती कुछ भी हो लेकिन ये तो साबित हो रहा है की इशरत का एनकाउंटर फेक था इसलिए दोषी लोगों को सजा होनी चाहिए.
कमाल है ना हमारा देश भी गुप्तचर संस्था के लोग आतंकियों को जाल में फंसकर मारते है और राजनैतिक पार्टियाँ उसमे अपना फायदा ढूँढती है, आतंकियों का केस लड़ने वाले देश की रक्षा करने वालों पर ही इलज़ाम लगाते है.
भारत नहीं मतलबी लोगों का सर्कस बन गया है ये देश.
अब देखना ये है कि सालों तक नरेंद्र मोदी को सताने वाला इशरत का भूत क्या अब कांग्रेस की नींदे उड़ाएगा या फिर ये बात भी आरोप प्रत्यारोपों के बीच दब जायेगी.
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