हाल के कुछ दिनों में कश्मीर घाटी में आतंकवादियों द्वारा राज्य पुलिस से हथियार छीने जाने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए जम्मू कश्मीर पुलिस ने हथियारों में कंप्यूटर चिप लगाने का फैसला किया है ताकि आतंकी पुलिस से हथियार छीनकर भागे तो चिप से उनकी लोकेशन का पता लगाकर उनका खात्मा किया जा सके।
बतातें चलें कि पिछले तीन महीने में पुलिसकर्मियों से इस तरह से हथियार छीनने की 14 घटनाएं हो चुकी हैं।
आतंकियों द्वारा छीने गये हथियारों में एके.47 राइफलें, इनसास कार्बाइन, सेल्फ लोडिंग राइफल और 303 राइफल शामिल हैं। बताया जाता है कि हथियारों में कंप्यूटर चिप के लगने के बाद यदि कोई आतंकी किसी सुरक्षा कर्मी की रायफल छीनकर भगता है तो उसे जीपीएस के जरिए ट्रेस करके न केवल रायफल का पता लगाया जा सकता है बल्कि आतंकी ठिकाने का पता भी आसानी से लगाकर उसे ध्वस्त किया जा सकेगा।
सेना एक ओर जहां घाटी में आतंकियों को हथियारों आदि की सप्लाई काटकर उन्हें समापत करने की योजना बना रही है वहीं इस प्रकार की घटनाएं सेना की मुहिम पर आघात कर रही है।
सेना ने घाटी में हथियार छीनने की बढ़ती घटनाओं पर गंभीर निराशा प्रकट की है। क्योंकि इस वक्त आतंकवादियों के हथियारों की भारी कमी है और यही वह मौका है जब उनको घाटी में आसानी से निष्क्रिय किया जाता सकता है। लेकिन आतंकी जिस आसानी से राज्य पुलिस से हथियार छीनकर ले जा रहे हैं उसको देखते हुए सेना ने इस संबंध में एक प्रस्ताव भेजा है जिसमें राज्य पुलिस के हथियारों में कंप्यूटर चिप लगाने में मदद की पेशकश की गई है।
गौरतलब है कि राज्य के पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था ) एस.पी. वैद ने हाल ही में दक्षिण कश्मीर के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की थी जिसमें हथियार छीने जाने की घटनाओं को लेकर विशेष तौर पर चर्चा की गयी। सेना और केंद्र सरकार का आतंकवादियों को लेकर सख्त रूख को देखते हुए राज्य पुलिस को कहा गया है कि वे भी पुलिसकर्मियों से हथियार छीनने की कोशिश करने वाले किसी भी शख्स के साथ सख्ती से निपटे और जरूरत पडने पर ऐसे लोगों पर गोली चलाने से पीछे नहीं हटे।
खुफिया ब्यूरों को जो सूचना मिली है उससे पता चला है कि हिज्बुल मुजाहिदीन आतंकी संगठन बड़े स्तर पर स्थानीय युवाओं की भर्ती कर रहा है। लेकिन उसके पास उनको देने के लिए हथियारों नहीं है। सीमा पर सेना की कड़ी चैकसी के चलते पाकिस्तान से होने वाली हथियारों की सप्लाई ठप्प हो गई है।
दरअसल, इसकी एक अन्य वजह भी है। पुलिस और अन्य सुरक्षाबलों से राइफलों को छीनने को आतंकी संगठन में प्रमोशन और भर्ती की शर्त के तौर भी लिया जाता है। वारदातों को अंजाम देने की कुशलता पर उनकी रैंकों का निर्धारण होता है। यही वजह है कि वह पिछले कुछ महीने से इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहा है। घाटी में 9 जुलाई को आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से शुरू हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षा बलों से करीब 100 हथियार लूट लिए गए थे।
आतंकी शोपियां के एक गांव के पूर्व सी.पी.आइ, एम.एल.सी अब्दुल रहमान टुकरू के आवास के गार्ड रूम से मैगजीन और 30 जिंदा कारतूस समेत एके .47 राइफल लेकर फरार हो गए। इसके पहले आतंकी दक्षिण कश्मीर के डाइलगाम गांव में पी.डी.पी. के जिला अध्यक्ष एडवोकेट जावेद अहमद शेख के घर की रखवाली करने वाले चार पुलिसकर्मियों से चार राइफलें छीनकर फरार हो गए। कुछ मामलों में ऐसे संकेत मिले हैं कि जिनमें पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है।
बहराल, राइफल छीनने की घटनाओं में वृद्धि को देखते हुए पुलिस और सेना द्वारा उठाया गया यह हथियारों में कंप्यूटर चिप डालने का कदम आतंकियों के हौसले पस्त करने में सहायक होगा।
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