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कौन था वो जिसने रामायण में राम की सहायता की और महाभारत में कृष्ण से युद्द लड़ा

कौन था ऐसा किरदार जिसने रामायण में राम और हनुमान की सहायता की पर महाभारत में कृष्ण से युद्ध किया ?

हिन्दू धर्म के अनुसार काल खंड को चार युगों में बांटा गया है. सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलयुग.

रामायण का काल त्रेता युग माना जाता है और महाभारत का द्वापर युग.

दोनों ही युगों में सैकड़ों वर्षों का अंतर है और कालखंड भी अलग अलग है. फिर भी ज़रा सोचिये इतने वर्षों का अंतर होने के बाद भी कुछ लोग ऐसे है जो दोनों ही कालखंडों में उपस्थित थे.

वो लोग रामायण में घटी घटनाओं के भी साक्षी थे और महाभारत में घटी घटनाओं के भी.

दोनों ग्रंथों में कुछ ऐसे किरदार है जो एक जगह राम की मदद करते है तो दूसरी ओर कृष्ण से युद्ध.  

सुनने में अजीब लगे पर ये सत्य है. क्या आप जानते है ऐसे कौन कौन से किरदार है जो दोनों ग्रंथों में उपस्थित थे.

चलिए आपको बताते है ऐसे किरदारों के बारे में.

हनुमान

हनुमान जी को रूद्र अवतार माना जाता है. रामायण में जब श्री राम को वनवास हुआ और वहां सीता का हरण हुआ तब हनुमान जी श्री राम से मिले थे. हनुमान ने रावण को पराजित करने और सीता को वापस लाने में राम की बहुत सहायता की थी. श्री राम के लिए हनुमान की भक्ति की मिसाल दी जाती है. हनुमान जैसा भक्त ना कभी हुआ ना कभी होगा.

रामायण में हनुमान का किरदार एक मुख्य किरदार है पर हनुमान की उपस्थिति महाभारत की भी विभिन्न कथाओं में मिलती है. चाहे वृद्ध वानर के रूप में भीम का गर्व चूर करना हो या फिर महाभारत के युद्ध में अर्जुन की पताका पर रहना हो. महाभारत युद्ध के समय अर्जुन, संजय के अलावा सिर्फ हनुमान ही थे जिन्होंने गीता का उपदेश श्री कृष्ण के श्री मुख से सुना था.

जामवंत

हनुमान की तरह ही जामवंत का भी रामयण में विशेष स्थान है. जब सागर पार करने के समय हनुमान अपनी शक्तियां भूल गए थे तो जामवंत ने ही हनुमान की शक्तियां याद दिलाई थी.जामवंत का वर्णन महाभारत में भी आता है. अज्ञानवश जामवंत श्री कृष्ण से युद्ध करने लगे थे. जब श्री कृष्ण ने उन्हें बताया कि राम और कृष्ण दोनों ही विष्णु के अवतार है और एक ही है तो जामवंत ने कृष्ण से क्षमा मांगी.जामवंत ने अपनी पुत्री जामवंती से विवाह करने का प्रस्ताव भी कृष्ण के सामने रखा.

मायासुर

रामायण में मायासुर को रावण का ससुर अर्थात मंदोदरी का पिता बताया गया है.मायासुर का वर्णन महाभारत में भी मिलता है. जब पांडवों ने दंडकारण्य को जलाया था तो उसमे केवल मायासुर ही जीवित बचा था.  अर्जुन ने मायासुर को जीवनदान दिया, इसके बदले में मायासुर ने इन्द्रप्रस्थ में पांडवों के मायावी महल का निर्माण किया था.

परशुराम

रामायण में परशुराम का वर्णन सीता स्वयम्वर के समय आता है. जब स्वयम्वर में धनुष की  प्रत्यंचा चढ़ाते हुए शिव धनुष को तोड़ दिया था तो क्रोधित परशुराम ने भगवान राम को दो दो हाथ करने के लिए ललकारा था. जब श्री राम की असलियत पता चली तो परशुराम ने उनसे क्षमा मांगी और आशीर्वाद दिया.महाभारत काल में भी परशुराम की उपस्थिति मिलती है. महाभारत में परशुराम भीष्म पितामह और कर्ण के गुरु थे.

विभीषण

विभीषण रामायण के एक प्रमुख पात्रों में से एक है. सीता हरण के बाद विभीषण ने ही रावण को बार बार समझाने की कोशिश की थी कि सीता को श्री राम को लौटा दें. लेकिन रावण ने उनकी एक ना सुनी. हार कर विभीषण राम की शरण में चले गए और रावण जैसे शक्तिशाली को हराने में मदद की.रावण के बाद विभीषण ने लंका का राज्य संभाला. विभीषण का वर्णन महाभारत में भी मिलता है. जब पांडवों ने राजसूय यज्ञ किया तो विभीषण ने पांडवों का निमंत्रण स्वीकार किया और बहुत से उपहार भी दिए.

देखा आपने कि कैसे ये पात्र दोनों काल खण्डों में उपस्थित रहे.

आज जब सामान्य इंसान ७० तक मुश्किल से जी सकता है वहीँ ये लोग दो अलग अलग युगों में भी जीवित रहे.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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Yogesh Pareek

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