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कभी सिरदर्द की दवा के रूप में बिकती थी कोका कोला, जानिए शून्य से शिखर तक की कहानी

कोका कोला – आजकल गर्मी के सीजन में लोग धूप या प्यास को बुझाने के लिये शरबत या जूस का सेवन नहीं करते हैं बल्कि वे कोल्डड्रिंक पीना पसंद करते हैं.

उन्हें कोल्डड्रिंक एनर्जी ड्रिंक लगती है, जिससे तुरंत राहत और प्यास भी बुझती है. आजकल हर पार्टी में कोल्डड्रिंक के बिना पार्टी अधूरी ही लगती है ऐसे में सबसे पहले जहन में नाम आता है ठंडा मतलब कोका-कोला का. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी जिस कोका-कोला को आप पेय पदार्थ के रूप में पीते हैं उसे कभी विदेशों में सिरदर्द और दर्दनिरोधक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था.

इस पेय पदार्थ का इतिहास काफी दिलचस्प है जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं.

शुरूआत में दवा के रूप में बेची गई कोका कोला

दरअसल साल 1886 के दौरान अटलांटा की सरकार ने शराबबंदी पर शख्त कानून बनाए थे. ऐसे में अमेरिकी गृह युद्द में ज़ख्मी हुए केमिस्ट जॉन पेम्बर्टन को मॉरफ़िन की लत लग गई थी. इसी लत के चलते उन्होंने शराब की जगह कोका की पत्तियों का रस पानी में मिलाकर पीना शुरु कर दिया था. लेकिन जॉन को यह स्वाद बेहद पसंद आया और उन्होंने अटलांटा में इस शर्बत को बेचना भी शुरु कर दिया. यह शर्बत लोगों को सिरदर्द और दर्दनिरोधक दवा के रूप में भी काम आ रहा था.

जॉर्जिया की राजधानी अटलांटा में फार्मासिस्ट डॉ. जॉन पेमबर्टन ने अपने नौकर के परिवार के नुस्खे को आधार बनाते हुए नीबूं, दालचीन, कोका की पत्तियों और ब्राजीलियन झाड़ी के बीजों को पानी में मिलाया और उन्हें एक केतली में भरकर रख दिया. कुछ वक्त बाद उन्होंने उसका स्वाद चखा तो यह पेय पदार्थ अलग तरह के स्वाद का बन गया था. इसमें कोका की महक और स्वाद था. इस पेय पदार्थ से यूरोप और अमेरिका के लोग अपनी सेहत का ख्याल रख रहे थे. इन कोका के बीजों से सिरप तैयार किए जा रहे थे. वहीं इंग्लैंड में ‘फोर्स्ड मार्च’ के नाम की एक टिकिया बेची जा रही थी, जिसमें कोका की पत्तियों का रस और कोला के बीजों की ख़ूबियां मिली हुई थीं. कंपनी का दावा था कि ये लोगों की भूख मिटाती है और उन्हें सेहतमंद बनाती है.

डॉ. पेमबर्टन इसे परीक्षण के लिए पास ही स्थित जेकब फार्मसी ले गए जहां इसे सोडा पानी के साथ मिलाकर कुछ लोगों को पिलाया गया. नया टेस्ट लोगों ने बेहद पसंद किया. डॉ. जॉन पेमबर्टन के दोस्त अकाउंटेंट फ्रैंक रॉबिंसन ने इस पेय पदार्थ का नाम कोका कोला रखा. तब से लेकर आजतक लोग ठंडा मतलब कोका-कोला ही समझते हैं. आपको बता दें कि दुनिया में ok शब्द के बाद सबसे ज्यादा समझा जाने वाला दूसरा शब्द Coca-Cola ही है.

मात्र 2300 डॉलर में बिका थी कोका कोला का फॉर्मूला

फिर 8 मई 1886 में डॉक्टर पेमबर्टन ने अपने दोस्त एड हॉलैंड के साथ कोका कोला बनाकर जेकब फार्मेसी के साथ एक डील की थी जिसमें फार्मेसी को 5 सेंट प्रति गिलास की दर से पेय पदार्थ को बेचना तय किया गया था.

पहले साल में कोका कोल की महज 25 बोतलें बिकी थी लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि वह 25 बोतल नहीं बल्कि 25 gallons syrup था जो एक साल में बिका था. करीब प्रतिदिन कोका कोला के 9 गिलास की सेल हुई थी. जिससे उन्हें 80 डॉलर के खर्च पर सिर्फ 50 डॉलर का मुनाफा हुआ. कहा जाता है कि डॉक्टर पेमबर्टन को कोकीन की लत थी और इस कारण वे बीमार और दीवालिया हो गए थे. मजबूरन 1887 में उन्होंने कोका कोला को आसा ग्रिग्स कैंडलर नाम के एक अन्य कारोबारी को मात्र 2300 डॉलर कोका कोला बनाने का फॉर्मूला बेच दिया था. साल 1888 में डॉक्टर जॉन पेम्बर्टन की मौत हो गई.

कोका कोला का स्वर्णिम युग था रॉबर्ट वुडरफ का कार्यकाल

1890 में कैंडलर ने कोका कोला को अमेरिका का सबसे फेवरेट पेय पदार्थ बना दिया था. उन्होंने कोका कोला को एक ब्रांड बनाने के लिये कैलेंडर, पोस्टर, नोटबुक और बुकमार्क्स के जरिए कस्टमर्स तक पहुंचाया. इसके बाद अच्छा मुनाफा कमाने के बाद कैंडलर ने करीब 2.5 करोड़ डॉलर में देश के मशहूर कोयला- स्टील उद्योगपति अर्नेस्ट वुडरफ को कंपनी बेच दी. 1923 में वुडरफ ने कंपनी बेटे रॉबर्ट को सौंपी जिन्होंने केवल 30 साल के कार्यकाल में इस ब्रांड को अर्श से फर्श तक पहुंचा दिया.

रॉबर्ट वुडरफ ने 1954 में कंपनी प्रमुख पद छोड़ दिया. साल 1941 में अमेरिका के द्वितीय विश्वयुद्ध में हजारों अमेरिका नागरिक सैन्य बल के साथ दूसरे देशों में भेजे गए. ऐसे में बहादुर सिपाहियों का समर्थन हासिल करने के लिए कोका कोला के अध्यक्ष रॉबर्ट वुडरफ ने अमेरिकी सिपाहियों को मुफ्त में कोका कोला का आनंद उठाने की छूट दी थी. जिस वक्त अमेरिका में हर व्यक्ति को कोका कोला की बोतल 5 सेंट में मिलती थी, मगर वुडरफ ने कोक को देशभक्ति से जोड़ने के लिये ऐसा कदम उठाया था ताकि सैन्य बल उत्साहित रहे. खबरों के मुताबिक युद्ध के दौरान सैनिकों द्वारा लगभग 5 अरब बोतलें पी गई थीं.
100 साल बाद बदला कोका कोला का स्वाद

80 के दशक में जब बाजार में मंदी और अन्य सॉफ्ट ड्रिंक्स बनने लगी थी जब एक दौर ऐसा आया था कि कोका कोला की बाजार में लोकप्रियता घटने लगी और उसकी बाजार में हिस्सेदारी मात्र 21 फीसदी रह गई.फिर कंपनी ने कोका-कोला के अलावा aaza, Fanta, Coke, Kinley, Sprite, Thums Up समेत कई मल्टी प्रोडक्ट्स बनाएं. कंपनी ने कोका कोला के कई वेरिएंट लॉंन्च किए . जिसमें डाइट कोक और कैफीन-फ्री कोक मुख्य थी.

आपको बता दें कि प्रारंभिक दिनों में कोका-कोला को खुले गिलास में भरकर बेचा जाता था. 1916 में पहली बार कोका कोला को बॉटल में डालकर बेचा गया. कंपनी ने कोको बीन से प्रेरणा लेकर बोतल डिजाइन कीं जो आज पूरी दुनिया में देखकर पहचानी जा सकती हैं. कोका कोला के निर्माण के 100 साल बाद 1985 में इसका टेस्ट बदला गया. 1945 में कोका कोला का ट्रेडमार्क अमेरिका के पेटेंट एंड ट्रेडमार्क ऑफिस में रजिस्टर कराया गया.

कोला पर भी लगी थी इमरजेंसी

1975 में जब भारत में इमरजेंसी लगी थी तब जनता पार्टी की सरकार ने कोका कोला का विरोध करके उसे देश निकाला दे दिया था. 16 साल बाद साल 1993 में फिर से कोका कोला ने भारत में कदम रखा था. गौरतलब है कि आज दुनियाभर में हर व्यक्ति साल में 1 हजार कोका कोला की बोतलें पीता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि यदि आप 2 दिन तक अपने नाखून को कोका कोला के अंदर रखें तो वह गलना शुरु हो जाएगा. दुनिया में मैक्सिको देश में लोग सबसे ज्यादा कोका कोला पीते हैं वह हर दिन 2 बोतल कोक पीते हैं. लेकिन नार्थ कोरिया और क्यूबा में यह पेय पदार्थ बैन है. शायद आपको पता नहीं होगा कि अमेरिका में बिकने वाली Coke का स्वाद दुनिया से अलग है.

दिलचस्प बात है कि आज कोका कोला कंपनी 142 अरब डॉलर से ज्यादा पूंजी वाली है. 200 से ज्यादा देशों में इसके 400 से ज्यादा ब्रांड हैं और कोका कोली की बिक्री सवा अरब कैन-बोतलों की है. दुनियाभर में इसके विज्ञापन 500 से ज्यादा टीवी चैनलों पर आते हैं . आज कोका कोला की कंपनी जॅार्जिया की राजधानी अटलांटा स्थित अपने मुख्यालय से पूरी दुनिया में कोला क्रांति को नए ढंग और चलन से बढ़ावा दे रही है.

Deeksha Mishra

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