पूजा-पाठ – हर धर्म में ईश्वर के प्रति लोगों की आस्था होती है.
ये ना सिर्फ भारत देश की बात है बल्कि दुनिया भर के लोगों में आस्था का भाव देखा जा सकता है.
ये अलग बात है कि हर धर्म के लोग अपने-अपने तरीके से ईश्वर की आराधना करते हैं. आज यहां हम आपको जो जानकारी दे रहे हैं वो वराह पुराण के अनुसार बताई गई बातें हैं।
वराह पुराण में ईश्वर की पूजा-आराधना को लेकर कई नियम बताए गए हैं जिसे हर किसी को अपनाने की सलाह दी गई है. माना जाता है कि अगर पूजा-पाठ के दौरान इन नियमों का पालन ना किया जाए तो इंसान को पूजा का फल प्राप्त नहीं होता. ईश्वर हमारी आराधना को स्वीकार नहीं करते हैं. चलिये जानते हैं वराह पुराण में पूजा-पाठ के दौरान किन बातों को वर्णित बताया गया है. ऐसे कौन से रंग हैं जिसे पहनकर पूजा-आराधना करने से ईश्वर आपकी पूजा को स्वीकार नहीं करते हैं.
शास्त्रों में पूजा-पाठ के लिए कई तरह के नियमों का वर्णन किया गया है जिसकी जानकारी हममें से ज्यादातर लोगों को नहीं होती है. शास्त्रों की बातों पर गौर करेंगे तो हर मनुष्य को पूजा के दौरान विशेष रूप से कुछ सावधानी अवश्य बरतनी चाहिए.
पूजा-आराधना अपने आप में एक बेहद खास स्थान रखता है. हर मनुष्य को ईश्वर से संपर्क करने का माध्यम होता है. ऐसे में अगर पूजा-पाठ से जुड़े नियमों का पालन ना किया जाए तो फिर आपकी पूजा व्यर्थ ही समझी जा सकती है. ऐसे में अगर आपके पास नियमों की जानकारी ना हो तो शास्त्रों का मार्गदर्शन लेना उचित माना जाता है.
गौरतलब है कि वराह पुराण में स्वयं भगवान वराह ने पूजा आराधना से जुड़े निषेध और नियमों के बारे में विशेष रूप से जानकारी दी है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु के दशावतार में से तीसरे अवतार भगवान वराह को माना जाता है. कहते हैं भगवान विष्णु ने हिरण्याक्ष नाम के राक्षस को मारने के खातिर वराह के रूप में अवतार लिया था.
वराह पुराण में भगवान विष्णु के वराह अवतार के साथ-साथ दान, यज्ञ, व्रत, तीर्थ इत्यादि से जुड़े नियमों के बारे में बताया गया है. वराह पुराण के 217 अध्याय में लगभग 10 हजार लोगश्लोक मौजूद हैं जिसे वराह भगवान के धर्मोपदेश कथाओं के रुप में दर्शाया गया है. इन्हीं उपदेशों ईश्वर की आराधना के कुछ जरूरी नियमों की जानकारी दी गई है.
वराह पुराण में भगवान के द्वारा पूजा-पाठ को लेकर कुछ निषेध नियम बताए गए हैं जिन्हें हर इंसान को पूजा के दौरान करनी चाहिए नहीं तो पूजा का फल नहीं मिल पाता.
चलिए जानते हैं कौन से हैं वो निषेध नियम.
1. ईश्वर की आराधना के वक्त इंसान को काले रंग या फिर नीले रंग के कपड़े नहीं पहने चाहिए. वराह पुराण में बताया गया है इन दो रंगों के कपड़े पहनकर पूजा करने से ईश्वर आपकी पूजा को स्वीकार नहीं करते हैं.
2. गलत तरीके से कमाए गए धन से किसी तरह की ईश्वर की सेवा या फिर उपासना करना भी निषेध बताया गया है. ईश्वर ऐसी सेवा का फल इंसान को नहीं देते हैं.
3. किसी भी मृत शरीर को छूने के बाद बिना नहाए-धोए पूजा पाठ करना निषेध बताया गया है.
4. संभोग करने के बाद बिना नहाए धोए ईश्वर की पूजा पाठ करना अपराध माना गया है.
5. गुस्से में आकर भगवान की आराधना करने को निषेध बताया गया है. ऐसी पूजा का फल भगवान कभी नहीं देते.
6. अंधेरे में ईश्वर की प्रतिमा या तस्वीर को छूना या फिर अंधेरे में पूजा पाठ करना अपराध स्वरूप माना गया है.
7. कुछ भी खाने पीने के बाद बिना कुल्ला किए ईश्वर की आराधना करने से पूजा स्वीकार नहीं होती
8. दीपक को छूने के बाद बिना हाथ धोए पूजा करना भी निषेध बताया गया है.
दोस्तों ये 8 ऐसे नियम हैं जिसे हर व्यक्ति को अपने दिनचर्या में शामिल करनी चाहिए. पूजा-पाठ के दौरान इन नियमों का पालन अगर इंसान करे तो उनकी पूजा को ईश्वर निश्चित रूप से स्वीकार करते हैंः सच्चे मन से किए गए पूजा का फल ईश्वर उतने ही सच्चे मन से देते हैं.
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