चीन की अक्ल ठिकाने के लिए अब भारत ने भी चीन को उसी की भाषा में जवाब देना शुरू कर दिया है.
देखा गया है कि भारत को घेरने को चीन कोई मौका नहीं छोड़ता है. लेकिन जब से भारत ने अपनी रणनीति बदली है उस दिन से चीन की अक्ल ठिकाने लगाने के लिए कूटनीतिक स्तर पर कई ऐसे दांव चले हैं जिनका परिणाम अब दिखना शुरू हो गया है.
इन दिनों भारत ने भी कांटे से कांटा निकालना शुरू कर दिया है. हाल में आपने सुना होगा कि श्रीलंका में चाइनीस प्रोजेक्ट का विरोध हो रहा है – श्रीलंका में हबनटोटा में चीन के पोर्ट बनाने को लेकर स्थानीय लोगों ने उसका विरोध कर शुरू कर दिया है.
इसके पहले भी भारत ने बलूचिस्तान के लोगों को समर्थन दिया है. इन घटनाओं के बाद से तो पाकिस्तान के साथ चीन के भी होश उड़े हुए हैं.
दरअसल चीन भारत पर दवाब बनाने के लिए पाकिस्तान में भारत की सीमा के नजदीक ग्वादर में पोर्ट की आड़ में नौसैनिक अड्डा बना रहा है. इसी प्रकार चीन ने भारत पर दवाब बनाने की रणनीति के तहत श्रीलंका में हंबनटोटा पोर्ट बनाने का समझौता वहां की पूर्ववर्ती सरकार से किया है.
चीन की भारत के पड़ोसियों से मिलकर उसको चारों ओर से घेरने की रणनीति का जब भारत को पता चला तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
लेकिन केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद अब भारत सरकार ने चीन को उसी की भाषा में समझाना शुरू कर दिया है.
एक ओर अब भारत जहां चीन के नाराज पड़ोसियों से दोस्ती बढ़ाकर उनको हथियार दे रहा है वहीं बाकी देशों में कूटनीति जाल बिछाकर चीन को फंसा दिया है.
ओपरेशन ड्रैगन के तहत अब भारत ने चीन के मित्र पाकिस्तान के बाद उसके प्रभाव में आए श्रीलंका को साधना शुरू कर दिया है.
जिस प्रकार चीन के प्रोजेक्ट का पाकिस्तान में विरोध चल रहा है उसी प्रकार श्रीलंका में भी अब चीन का विरोध शुरू हो गया है. सिल्क रूट के तहत श्रीलंका में हंबनटोटा पोर्ट का विकास और इंडस्ट्रियल जोन बनाने की चाइनीज योजना अधर में लटक गयी है.
श्रीलंका में भूमि अधिग्रहण को लेकर विपक्ष और आम लोगों के विरोध के बाद चीन को 1.1 बिलयन डॉलर वाले प्रॉजेक्ट को कानूनी और राजनीतिक बाधा दूर होने तक रोकना पड़ा है.
गौरतलब है कि श्रीलंका के सामने चीन के प्रोजेक्ट को लेकर घरेलू विरोध इतना बढ़ गया है कि लोग अब चीन के साथ सरकार के प्लान को कोर्ट में चुनौती दे रहे हैं.
जानकारों का मानना है कि श्रीलंका में चाइनीस प्रोजेक्ट का विरोध की वजह से यदि इंडस्ट्रियल जोन बनाने की चाइनीज योजना लटक गई तो चीन जिस भारत का पोर्ट बनाने का सपना भी धरा का धरा रह जाएगा.
यही वजह है कि अब चीन को भी समझ में आ रहा है कि भारत को घेरने के चक्कर में वह अपनी काफी रकम फंसा चुका है. ओर उसके दोनों ही प्रोजेक्ट पूरे हो पांएगे इसको लेकर अब चीन को शंका होने लगी है.
वहीं चीन बोले भले ही नहीं लेकिन उसको भी लगने लगा है कि भारत चीन को इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाला है.
जिस प्रकार पाकिस्तान के बाद श्रीलंका में चाइनीस प्रोजेक्ट का विरोध हो रहा है उसको देखते हुए चीन अब सोच रहा है कहीं उसने भारत से बैर मौल लेकर भारी गलती तो नहीं कर दी है.
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