पारस पत्थर का नाम तो आपने सुना ही होगा और इसकी कहानी से भी आप भली-भांति परिचित होंगे.
कहते हैं पारस पत्थर में किसी भी धातु को सोना बनाने की ताकत होती है. यानी कि पारस पत्थर से अगर कोई धातु संपर्क में आए तो सोना बन जाता है. इसमें कितनी सच्चाई है इसके बारे में तो कुछ कह पाना मुश्किल है. लेकिन कुछ लोगों की मानें तो नेपाल स्थित पशुपतिनाथ मंदिर में एक पारस पत्थर मौजूद है.
जबकि कुछ लोग ये भी कहते हैं कि अगर नेपाल के पास पारस पत्थर है तो फिर नेपाल इतना गरीब कैसे हो सकता है.
खैर जो भी है ये सब तो एक लोककथा है. लेकिन चीन के एक व्यक्ति के हाथ एक ऐसा अजूबा पत्थर लगा है जिसने उस व्यक्ति को रातों-रात करोड़पति बनाने का काम किया है.
दरअसल बो चुलोऊ नामक चीन के एक ग्रामीण व्यक्ति को एक पारस पत्थर मिल गया है. दोस्तों मैं आपको पहले ही ये बता दूं कि ये पारस पत्थर लोककथा वाला पारस पत्थर बिल्कुल भी नहीं है.
दरअसल हुआ ये कि इस व्यक्ति को एक दिन एक सूअर मिला जब उसने उस सूअर को मारा और उसे काटा तो उस सूअर के पेट में से एक अजीब पत्थर जैसी कोई चीज मिली. उसी पत्थर ने बो चुलोऊ को करोड़पति बनाने का काम किया है. ऐसे में इस पत्थर को पारस पत्थर कहा जाए तो शायद कोई गलत नहीं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि सुअर के पेट से जो पत्थर इस व्यक्ति को मिला है उसकी दुनियाभर में काफी डिमांड है. और इसी वजह से ये पत्थर लाखों-करोड़ों में बिकती है. लेकिन जब पहली बार बो ने इस पत्थर को देखा तो उसे कुछ समझ नहीं आया. उसे लगा यूं ही कोई आम पत्थर होगा.
लेकिन जब अपने पड़ोसियों की बातें उसने सुनी तो उसे समझ में आने लगा कि ये निश्चित रूप से कोई खास पत्थर है.
अपने इसी उलझन को सुलझाने के लिए बो संघाई अपने बेटे के साथ चला गया. जब वो संघाई पहुंचा तो उसकी इस 2.7 इंच परिधि वाले पत्थर की कीमत जानकर हैरान रह गया. संघाई में उसे पता चल गया कि ये पत्थर बेहद अनमोल है. ये कोई आम पत्थर नहीं बल्कि खासम-खास है. दरअसल ये पत्थर जैसी दिखने वाली चीज कुछ और नहीं बल्कि बेजोर है.
बो को मिलने वाले इस पत्थर की कीमत 4 करोड़ बताई गई. बता देंं कि जानवरों के अंदर ही बेजोर पाया जाता है. और ये बेजोर काफी काम की चीज होती है. इसकी मदद से दवाइयां बनती है. इसे लोग जादुई दवा के नाम से भी जानते हैं.
सन् 1600 ईस्वी की बात है जब इंग्लैंड में सबसे पहले बेजोर का पता लगा था जिसके बाद से चीन में दवा के लिए इसका काफी उपयोग किया जाने लगा. कई तरह के जहर से भी बचने के लिए बेजोर का इस्तेमाल किया जाता है. इसके लिए बेजोर से इंजेक्शन बनाया जाता है.
एक बात और जानना जरूरी है कि ये बेजोर जानवरों के अंदर मिलने के बाद भी काम का तभी होता है जब ये जानवर के आंत से मिला हो. और खुशी की बात है कि बो को ये बेजोर सूअर के आंत से हैं मिला है.
भाई इसे कहते हैं रातों-रात किस्मत चमकना, जमीन से फलक तक पहुंचना. और ना जाने क्या-क्या. आजतक इस तरह की बातें दो कहानियों में सुनने को और फिल्मों में देखने को ही मिलते हैं. लेकिन बो चुलोऊ की ये कहानी किसी किताब या पर्दे की नहीं बल्कि हकीकत है. इसलिए तो ये कहावत भी मशहूर है कि ‘कब किसकी किस्मत पलट जाए कोई नहीं जानता.’