खुदा कसम चाइना वालों से बड़ा हैवान नहीं देखा होगा! इस मेले ऐसे उबालकर कुत्ते खाये जाते हैं
(जरुरी सूचना- इस लेख में कुछ तस्वीरें ऐसी भी हैं जो आपको विचलित कर सकती हैं)
चीन को इसीलिए बिना दिल वाला देश कहा जाता है. यहाँ पर ना तो मानव दिल की आवाज सुनी जाती है और ना ही यहाँ बेजुबानों की फीलिंग्स को समझा जाता है. वो एक कहावत थी कि मुझको भाया तो मैंने कुत्ता मारकर खाया, यह कहावत चीन के लोगों पर सही बैठती है.
कुत्ता जो इंसान का सबसे वफादार दोस्त बताया जाता है उसी दोस्त को यह लोग एक दिन उबालकर मारते हैं और खा जाते हैं.
कुत्तों को उबालकर खानेवाला मेला विश्वभर का सबसे बदनाम मेला है.
तो आइये आज हम आपको दिखाते है कुत्तों को उबालकर खानेवाला मेला और उसके बारे में कुछ जानकारी देते हैं-
1. कुत्तों को उबालकर खाने वाले इस मेले का आयोजन चीन में गर्मियों के दिनों में होता है. इसे डॉग इट फेस्टिवल येलीन भी बोला जाता है.
2. इस मेले में कुछ 20 हजार कुत्तों को बेदर्दी से उबालकर खा लिया जाता है. लोग सालों तक अपने कुत्तों को पालते हैं और इस मेले में उनको बेच देते है.
3. सबसे खतरनाक बात यह है कि यह मेला कुछ 10 दिनों तक चलता है और सभी दिन कुत्तों को बड़े दर्द से मारा जाता है.
4. मौत अगर एक बार में दे दी जाये तो इतना दर्द नहीं होता है लेकिन यहाँ कुत्तों को दर्द देकर मारा जाता है. मारने से पहले उनको कई तरह की यातनायें दी जाती है.
5. यह तस्वीर अपने आप में काफी कुछ बोल जाती है. यहाँ शायद अब लिखने के लिए कुछ बाकी नहीं रह जाता है.
6. छोटे-छोटे मासूम कुत्तों के बच्चों को भी यहाँ ख़रीदा बेचा जाता है और पौष्टिक मांस के रूप में खा लिया जाता है.
7. इस मेले की तैयारी कुछ 8 महीने पहले ही शुरू हो जाती है. यहाँ देशभर से अच्छी नस्ल के कुत्तों को लाकर रखा जाता है और उनकी जांच आदि की जाती है.
8. इस मेले को कैमरे में कैद करने विश्वभर से लोग आते हैं और कुत्तों पर हो रहे दर्द को यहाँ रिकॉर्ड करते हैं.
9. कई बार कुत्तों को यहाँ जिन्दा ही गर्म पानी में डाल दिया जाता है और उसके बाद भूनकर इनको खाने लायक बनाया जाता है.
10. अब विश्वभर से यह मांग उठ रही है कि इस तरह के आयोजन पर चीन को रोक लगा देनी चाहिए. किसी बेजुबान पर अत्याचार करने की थी हद होती है.
ये है कुत्तों को उबालकर खानेवाला मेला – अब आप खुद ही देख लीजिये कि आखिर क्यों चीन को एक बेरहम और क्रूर देश बताया जाता है. यहाँ मानवता नाम की तो चीज जैसे अब बची ही नहीं है. वैसे अब शायद वक़्त आ गया है कि जल्द से जल्द विश्वभर से इस तरह के आयोजनों को बंद कर देना चाहिए.
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