चीन की दूसरे देशों की जमीन हड़पने की भूख ऐसी है कि शांत होने का नाम ही नहीं लेती.
सन 1949 में उसने पूरे तिब्बत को हड़प लिया. 1962 के युद्ध में उसने अकसाई चीन सहित भारत के एक बड़े भू-भाग पर कब्जा जमा कर बैठ गया. चीन ने पाकिस्तान द्वारा कब्जाया हुआ पाक अधिकृत कश्मीर का एक हिस्सा भी पाकिस्तान से ले रखा है.
इसके बावजूद चीन भारत के बहुत बड़े क्षेत्रफल को ललचाई निगाहों से देखता रहा है और किसी भी तरह इन क्षेत्रों पर कब्जा जमाने के जुगत में लगा रहता है. ताजा मामला अरुणाचल प्रदेश का है. चीन ने अरुणाचल प्रदेश के शहरों के नाम बदले और उनपर अपना अधिकार जताने का प्रयत्न किया है.
माना जा रहा है कि चीन ने चीन ने अरुणाचल प्रदेश के शहरों के नाम बदले वो इसलिए कि तिब्बत के अध्यात्मिक गुरू दलाई लामा के हालिया अरुणाचल प्रदेश दौरे के बौखलाहट में उठाया है.
चीनी सरकार ने 14 अप्रेल को एक दस्तावेज जारी कर अरुणाचल प्रदेश के 6 शहरों का तिब्बति नाम बदलकर उन्हें चीनी भाषा (मंदारिन) के नाम दिए हैं. ऐसा करके एक तरफ चीन तिब्बतियों को कड़ा संदेश देने की कोशिश कर रहा है तो दूसरी तरफ उसकी कोशिश भारत पर दबाव डालने की और यह जताने की है कि वह अरुणाचल प्रदेश के मुद्दे पर समझौता नहीं करेगा.
ज्ञात हो कि चीन अरूणाचल प्रदेश पर अपना दावा जताता रहा है.
चीन पूरे प्रदेश को दक्षिण तिब्बत करार देता है. हालांकि भारत-चीन रिश्तों के भारतीय विशेषज्ञों ने कहा है कि चीन द्वारा भारतीय शहरों के नाम बदलने के बावजूद अरुणाचल प्रदेश पर भारतीय नियंत्रण अविवादित ही रहेगा.
ऐसा नहीं है कि चीन ने इस तरह की तरकीबें पहली दफा अजमाई हों.
दक्षिण चीन सागर पर अपना अधिकार जताने के लिए चीन इस सागर के द्विपों का नाम बदलता रहा है. इस तरह से वह वियतनाम, फिलिपिन्स और इन्डोनेशिया जैसे देशों से इन क्षेत्रों के लिए लड़ता रहा है.
चीन विवादित क्षेत्रों का मौसम पूर्वानुमान जारी करके भी इन क्षेत्रों पर अपना दावा ठोकने की चालें चलता रहा है.