बच्चे की हुई कुतिया से शादी – अंधविश्वास के नाम पर लोग कुछ भी कर सकते हैं।
कुछ भी… और जब बात हो इंडियन सोसायटी की तो यहां तो सबकुछ मंजूर है। क्योंकि अनहोनी से बचने के लिए लोग कोई भी अंधविश्वास पर विश्वास कर के उसको पूरा करने के लिए जी जान लगे देते हैं।
अभी हाल ही में खबर आई है कुतिया और बच्चे की शादी की। यह खबर पिछले सप्ताह से सोशल मीडिया पर लोगों का काफी ध्यान अपनी ओर खींच रही है।
बच्चे की हुई कुतिया से शादी –
ग्रामीण इलाका और अंधविश्वास
वैसे तो इंडियन सोसायटी में अंधविश्वास शहर और ग्रामीण देखकर नहीं आता। क्योंकि आज भी शहरों में भी कई लोग काली बिल्ली के रास्ता काट देने पर रुक जाते हैं। वहीं पिछले साल तक शहरों में चोटी काटने वाले आदमी तक का खौफ एक बार में ही पूरे देश में फैल गया था। लेकिन खैर वो बात कुछ महीनों बाद ही बात आई और गई हो गई।
इसलिए कभी भी अंधविश्वास को शहर और गांव के चश्मे से नहीं देखना चाहिए। लेकिन फिर भी ग्रामीण इलाकों में अंधविश्वास शहरों की तुलना में अधिक है।
बच्चे बनते हैं शिकार
गांव में होने वाले अंधविश्वास का सबसे ज्यादा शिकार बच्च बनते हैं। आप खबरों में सुनते ही होंगे की फलाने ने लड़के के खातिर तीन लड़कियों की बलि चढ़ा दी। या फिर पति की बीमारी ठीक करने के लिए महिला ने अपने बच्चे की बलि चढ़ा दी। पता नहीं ऐसे ही कितने अंधविश्वास के बच्चे बलि चढ़ चुके हैं। एक बच्चे की पूरी की पूरी लाइफ भी अंधविश्वास के कारण बलि चढ़ गई है।
झारखंड का है ये किस्सा
झारखंड में बच्चों की सलामती के लिए अजीब-अजीब रस्में निभाई जातीं हैं। कुछ ऐसी ही रस्म हाल-फिलाहल में निभाई गई है। यहां बच्चे की जान बचाने के लिए उनकी शादी कुतिया से करा दी जाती है। गांववाले बताते हैं कि जब बच्चे के ऊपरी जबड़े के हिस्से में पहला दांत निकलता है तो इसका मतलब है कि बच्चे पर मृत्युदोष का खतरा मंडरा रहा है। इस खतरे को टालने के लिए जानवरों से इसकी शादी कराई जाती है। यही नहीं कभी-कभी पेड़ से भी बच्चों की शादी कराई जाती है। इसे स्थानीय भाषा में ‘दैहा बपला’ कहते हैं।
क्या है रस्म
बच्चों की जान बचाने के लिए उनकी शादी जानवरों से कराई जाती है। यहां लोगों का मानना है कि जानवरों से शादी कराने पर बच्चे पर से अपशकुन कट जाता है और बच्चे को लंबी जिंदगी मिलती है। झारखंड के बुरुडीह टोला आसुरा में विकास नामक तीन वर्षीय बच्चे की शादी परिवार वालों ने कुतिया से कराई गई। अभी यही खबर चर्चा में बनी है।
कहां निभाई जाती है ये रस्म
ये रस्म झारखंड और पड़ोसी राज्य ओडिशा के कुछ इलाकों में निभाई जाती है। इन राज्यों के लोग बच्चे के ऊपरी जबड़े में 10 महीने में पहला दांत निकलना को अशुभ मानते हैं। फिर इस अशुभ स्थिति से निपटने के लिए पूरे विधि-विधान से अपने बच्चे की शादी किसी जानवर जैसे कि कुत्ते और कुतिया से करते हैं। यह अंधविश्वास झारखंड सहित पड़ोसी ओडिशा के कुछ जिलों में भी कायम है।
बच्चे की हुई कुतिया से शादी – तो इस सादी में पूरे गांव के लोग जुटते हैं। कहां आजकल हमलोग अपनी शादी में केवल कुछ ही खास लोगों को इंवाइट करते हैं वहीं जानवर की शादी में पूरा गांव आमंत्रित होता है। सच में ही कलयुग है। लेकिन इस कलयुग में आज भी जानवरों की जान की कोई कीमत नहीं है। तभी तो इंसान की जान का भय देखकर उनकी शादी जानवर से करा दी जाती है। ताकि सारा खतरा जानवर पर चले जाए। क्या कलयुग है।
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