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चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मामले में पहले नंबर पर अमृतसर

इन्टरनेट पर चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मालमे पर हाल ही में हुए एक सर्वे में पाया गया, कि इस तरह की विडियों को तलाशने और शेयर करने के मामले में मेट्रो सिटी से लेकर छोटे शहरों तक कौन-कौन किस रैंक पर है। इन्टनेट के इस मामले में कई बड़े चौकाने वाले खुलासे सामने आये है।

आपको बता दे कि यह सर्वे चाइल्ड एब्यूज के मामले में एक बेहद बड़ा खुलासा है।

इस सर्वे के अनुसार पंजाब का अमृतसर जिला इस मामले में सबसे ऊपर यानि पहले नंबर पर विरजामन है। आकड़ों की माने तो हाल ही में पाया गया कि बीते छह महीनों में चाइल्ड पोर्न से जुड़े सबसे ज़्यादा वीडियों देखने और शेयर करने के मामले में अमृतसर है, तो वहीं इस लिस्ट में अमृतसर  के बाद दूसरे नबंर पर दिल्ली, तीसरे पर लखनऊ, और चौथे पर त्रिशुर आदि जैसे कई बड़े शहरों के नाम लिस्ट में शुमार है।

चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज –

सर्वे के आधार पर चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज

हाल ही में होने वाले चुनावों पर साल 2017 का यह सर्वे काफी बुरा असर डाल सकता है। साथ ही यह सर्वे सरकार, चुनावी पार्टियों और पुलिस विभाग की कार्यकारणी पर सावलिया निशान खड़े करता है। खबरों और सर्वे के आकड़ो के अनुसार 1 जुलाई 2016 से 15 जुलाई 2017 तक के इस सर्वे में करीब 4 लाख 30 हज़ार फाइल यूथ के बीच शेयर की गई है। अब इस मामले पर जल्द ही अगला रिसर्ट आकड़ा भी आने वाला है।

कम्पूटरों के आईपी एड्रर्स के आधार पर तैयार किया गया है यह सर्वे

आपको बता दे यह सर्वे सभी कंप्यूटर के आईपी एड्रेस को आधार बनकर तैयार किया गया है, जिसमें से कई यूजर्स तो तरह-तरह के सॉफ्टवेयर्स का प्रयोग करके अपने कंप्यूटर का आईपी एड्रेस छुपाने का प्रयास करते है। तो वहीं इन मामलों पर सचेत सर्वे विभाग ने इस आकड़े को निकलने के लिए कई तरह के विदेशी लोकेटर्स का भी प्रयोग किया है। सर्वे विभाग ने ने लोकेटर्स का प्रयोग करते हुए उन यूज़र्स का भी पता लगाने का प्रयास किया है, जोकि इस तरह के अपराधों में भागीदार तो होते है, लेकिन वो इतने सचेत होते है कि खुद को बचाने के हर सभंव प्रयास पहले से ही तैयार रखते है। इस मामले पर साइबर लॉ एक्सपर्ट प्रशांत मिली ने इस मसले पर गहन चिंता व्यक्त करते हे पहले भी कही था कि लोगों को अभी तक यह बात पता तक नहीं है कि चाइल्ड पोर्न देखने और इसे शेयर करना क़ानूनी अपराध की श्रैणी  में आता है। यह मानवता के साथ ही कानूनी तौर पर भी जुर्म है। साथ ही उन्होंने इस मामले पर सजा का प्रावधान सुनाते हुए बताया कि हालियां क़ानूनी नियमों के तहत इस अपराध के लिए 7 साल की जेल और 10 लाख रुपए तक की पेनलटी हो सकती है।

अब इस साल निकले गए इन आकड़ों के अनुसार अब सरकार, राजनैतिक नेता और कानून किस तरह की कार्यवाही करते है, ये देखना काफी अहम् होगा। साथ ही आने वाले चुनाव 2019 में यह मुद्दा किस तरह से राजनैतिक गलियारों का हिस्सा बनता है ये देखना भी बेहद अहम् होगा।

Kavita Tiwari

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