बाल यौन शोषण – बच्चे वर्तमान में सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं।
महिलाएं तो अपने साथ हुए यौन शोषण की दुर्घटनाओं की जानकारी के बाद हल्ला मचा देती हैं। लेकिन बच्चों के साथ ऐसा नहीं है। बाल यौन शोषण होता है तो उन्हें समझ ही नहीं आता है कि उनके साथ क्या हो रहा है। केवल उन्हें कुछ गलत सा महसूस होता है और वे अपने आप से घिन करने लगते हैं।
बाल यौन शोषण का ना कोई सबूत होता है और ना ही कोई गवाह। बस उनके साथ कुछ गलत हरकत हो जाती है और इसकी जानकारी तब तक नहीं मिलती है जब तक की बच्चे खुद नहीं बोलते हैं। और जब बच्चे खुद कुछ बोलते हैं तो फिर उस अपराधी को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। जैसा फिलहाल पाकिस्तान में हुआ है।
105 साल की सजा
पाकिस्तान में एक शख्स को बच्चों के साथ गलत हरकत करने के लिए 105 साल की सजा सुनाई है। भारत को इससे सीख लेनी चाहिए। यह शख्स एक स्कूल का प्रिंसिपल है।
पेशावर (पाकिस्तान) स्थित कोर्ट ने बच्चों का यौन शोषण व बलात्कार के अलग-अलग मामलों को लेकर स्कूल के प्रिंसिपल अत्ताउल्लाह मारवत को 105 वर्ष की जेल की सज़ा सुनाने के साथ ₹7.78 लाख का जुर्माना भी लगाया है। दरअसल, जिस स्कूल का मारवत प्रिंसिपल है, वह वहां का मालिक भी है। इसे एक लड़के की शिकायत के बाद गिरफ्तार किया गया था।
बाल यौन शोषण का बनाता था वीडियो
यह प्रिंसिपल साइको था। क्योंकि यह अपने मजे के लिए बच्चों का यौन उत्पीड़न करता था और वीडियो बनाता था। निजी स्कूल में प्रिंसिपल द्वारा वीडियो बनाने के बाद ऐसा किया गया है। इस मामले पर न्यायाधीश यूनिस खान ने सजा सुनाई है। बता दें, 14 जुलाई 2017 को एक छात्र ने उसके खिलाफ हयाताबाद पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें उसने ये आरोप लगाया था कि अताउल्ला स्कूली बच्चों व लड़कियों का यौन शोषण करता है।
एक लड़के ने की थी शिकायत
पाकिस्तान की स्थानीय अदालत ने बच्चों का यौन शोषण करने के आरोप में और गुप्त कैमरे से उनका वीडियो बनाने के अपराध में बच्चे को 105 साल की सजा सुनाई है। स्कूल के एक लड़के ने अपनी माता-पिता से इस बारे में शिकायत की थी जिसके बाद उसके माता-पिता ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई। इस रिपोर्ट के दर्ज होने के बाद ही पुलिस ने मारवात को गिरफ्तार किया। जब पुलिस ने मारवात के खिलाफ की गई शिकायतों की जांच की तो वह उसमें दोषी पाया गया।
अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा
जांच में सभी आरोपों में दोषी पाने के बाद उसे पाकिस्तानी पैनल कोड की धारा 354-ए, 365-बी और धारा 377 के तहत कठोर आजीवन कैद की सजा सुनाई गई थी। इन सजा के अलावा मारवात को धारा 354 के तहत दो साल और धारा 376 के तहत 20 साल की सजा सुनाई गई थी।
25 पीड़ितों ने दी गवाही
इस प्रिंसिपल के खिलाफ 25 पीड़ितों ने बयान दिया है लेकिन पीड़ितों को अधिक संख्या सामने नहीं आई है। इतना ही नहीं, उस पर ये आरोप भी था कि उसने 18 साल कम उम्र वाली बालिकाओं के साथ शोषण किया।
अब इंतजार है कि भारत में ऐसी सजा किसी अपराधी को कब होती है। भारत में बच्चों से यौन शोषण के कई सारे मामले सामने आए हैं लेकिन इतनी कठोर सजा अब तक नहीं हुई है। भारत को पाकिस्तान से सीख लेनी चाहिए।
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