चेतन भगत को लिखना बहुत पसंद है.
ये अंग्रेजी में लिखते हैं, सोते हैं और बाकि दिनचर्या भी अंग्रेजी में ही करते हैं.
आज भी चेतन भगत ने एक अख़बार में इन्टरनेट भक्तों पर लिखा. लेकिन भक्तों पर लिखते- लिखते कब इन्होने अपनी लाइन क्रॉस की इन्हें पता भी नहीं चला. तो सबसे पहले इन्होने भारत के एक बड़े तबके को ये कहा की इनलोगों की अंग्रेजी अच्छी नहीं इसलिए ये लोग हीनभावना से ग्रसित हैं.
सबसे पहले तो चेतन भगत को बताया जाना चाहिए की अब आपसे लोगो को अंग्रेजी सीखने की आवश्यकता नहीं है.
आप जैसे “कथित एलिट और मॉडर्न” लोगो की समस्या ही यही है की ये ज्ञान को भाषा से जोड़ कर देखते हैं. चेतन भगत वो आप ही हो जिसने सबसे पहले अपनी ख़राब अंग्रेजी से युवाओं को कूल बनने की लिए उनके मुंह में “फ़क” शब्द को ठूंसा. आज हर वाक्य की शुरुआत और अंत सब फ़क से ही होता है. ओह सॉरी आपके लिए तो ये युवा “मॉडर्न” होंगे जो हीनभावना से ग्रसित नहीं होंगे. भले ही इन्हें पता ना हो की देश का प्रधानमंत्री कौन है?
चेतन भगत सिर्फ अंग्रेजी तक ही सिमित नहीं रहे. फिर कहा की इनलोगों को महिलाओं से बात करना नहीं आता उनके साथ कैसे व्यवहार करना चाहिए ये नहीं आता. तो चेतन भगत आप कुछ लोगों के ट्वीट को पढ़कर सबके बारे में ऐसा नहीं लिख सकते.
खैर आजकल चेतन भगत एक डांस शो को जज कर रहे हैं. क्योंकि इन्हें डांस तो आता नहीं तो बस विवाद पैदा कर पैसे कमा रहे हैं. चेतन भगत जब ट्विंकल खन्ना को उनकी फिल्म बरसात और बादशाह की याद दिलाई थी या फिर जब प्रीती जिंटा को ये बताया था वो एक ख़राब डांस को अच्छा कैसे कह सकती है (देखो कौन कह रहा है), या जब आपने नच बलिये के प्रतिभागियों को कई बातें कही तब ये सारे मैनर्स कहाँ चले गए थे.
चेतन भगत यही नहीं रुके उन्होंने लिखा की हिंदी बोलने वाले हिन्दू सबसे गरीब हैं इसलिए वो शर्मिंदा हैं. और ये लाइन चेतन भगत आपकी सोच को दर्शाती है. वैसे कुछ लिखने से पहले फैक्ट्स चेक क्यों नहीं करते आप ?
और पहले तो आप अपनी अंग्रेजियत से बाहर आइये तब जाकर शायद कभी कुछ सेंसिबल लिखने का प्रयास कर पायेंगे. चेतन भगत ने लिखा की ये अंग्रेजी न जानने वाले पुरुष उन महिलाओं से जलते हैं जो फर्राटेदार अंग्रेजी बोलती हैं. और आपने अपने इस तरह का दलील देकर उन महिलाओं को भी जलील किया है जो अपने हक़ के लिए लड़ना जानती हैं और उसके लिए उन्हें अंग्रेजी की जरूरत नहीं.
और आखिर में अगर कुछ अच्छा नहीं लिख सकते तो न लिखना बेहतर होगा.
इस आर्टिकल से आपने श्रुति सेठ और बाकि महिलाओं के पक्ष को कमजोर ही किया है. तो इन पर “एक एहसान करना कि इनपर कोई एहसान ना करना”
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