शतरंज के खेल में – किसी न सच ही कहा है पूत के पांव पालने में ही नज़र आ जाते हैं.
इंग्लैंड में रहने वाला नौ साल का भारतीय बच्चा इतना प्रतिभाशाली है कि इतनी कम उम्र में ही एक देश ने उसके लिए अपने नियम तक बदल डाले. जी हां, नौ साल के श्रेयस से प्रभावित होकर ब्रिटेन ने ऐसा किया है.
अब आप सोच रहे होंगे कि नौ साल के इस बच्चे में आखिर ऐसा क्या खास है? चलिए आपको बताते हैं.
इंग्लैंड में रहने वाला नौ साल का श्रेयस शतरंज के खेल में माहिर है उसे भविष्य का विश्वनाथन आनंद कहा जा रहा है और उसके इसी खेल से ब्रिटेन जैसा देश इतना प्रभावित हुआ कि उसने उसके लिए अपने वीजा नियम को ही लचीला बना दिया. दरअसल, श्रेयस का परिवार लंदन में रहता है और श्रेयस ने वहां स्कूल स्तर के शतरंज की कई प्रतियोगिताएं जीती हैं. श्रेयस अपनी उम्र में दुनिया भर में शतरंज के मामले में चौथी रैंकिंग पर है.
उसका सपना ग्रैंड मास्टर बनने का है. उसे न तो हिंदी आती है और न ही मसालेदार खाना पसंद है.
शतरंज के खेल में वो लगातार आगे बढ़ता रहे, इसके लिए उसके माता-पिता ब्रिटेन में ही हैं और आगे भी वहां रहना चाहते हैं, लेकिन श्रेयस के पिता का वर्क वीजा इसी सितंबर महीने में खत्म हो रहा है, इसीलिए नियम के मुताबिक इस परिवार को भारत वापस आना पड़ता.
लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि ब्रिटेन का शतरंज जगत, मीडिया, राजनीतिज्ञ सब श्रेयस के साथ खड़े हो गए और गृह मंत्रालय के सामने इस बात को लेकर आवाज उठाई गई कि इस ‘असाधारण प्रतिभा’ को ब्रिटेन को खोना नहीं चाहिए. आखिरकार ब्रिटेन सरकार को इसे मानना पड़ा. श्रेयस का परिवार भारत लौटने के लिए अपने सामान पैक कर ही रहा था कि तभी यह खबर आई कि वे आगे भी ब्रिटेन में रह सकते हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ब्रिटेन के गृह मंत्री साजिद जाविद ने कहा, ‘उन्होंने व्यक्तिगत स्तर पर यह निर्णय लिया है, क्योंकि श्रेयस अपनी पीढ़ी के सबसे प्रतिभावान खिलाड़ियों में से है.’ श्रेयस के पिता जितेंद्र सिंह अब टियर-2 वर्क वीजा के लिए आवेदन कर सकेंगे, जो कि चार साल के लिए वैलिड होगा. यानी यह परिवार अगले चार साल तक भी ब्रिटेन में रह सकेगा.
श्रेयस के पिता भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी टीसीएस में काम करते हैं और यह वीजा यही कंपनी स्पांसर करती है. अब श्रेयस के पिता उम्मीद है कि उन्हें आगे भी ब्रिटेन में ही स्थायी निवास मिल जाएगा. आपको बता दें कि श्रेयस चार साल की उम्र से ही शतरंज खेल रहा है 4 साल की उम्र में ही उसने इस खेल में एक ट्रॉफी जीती थी.
शतरंज के खेल में – उम्मीद है भारत का ये बच्चा एक दिन पूरी दुनिया में अपने माता-पिता और भारत का नाम रौशन करेगा, वैसे ब्रिटेन न इस बच्चे के लिए जो किया वह भी काबिले तारीफ है.