हर व्यक्ति की चाहत होती है कि वह जीवन में विदेश यात्रा करे और उसको वहां से धन की प्राप्ति हो.
लेकिन खूब मेहनत के बाद ही कई बार हम विदेश यात्रा नहीं कर पाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि व्यक्ति की कुंडली में भी कुछ योग होते हैं जो यह बताते हैं कि आप कब विदेश यात्रा पर जा सकते हैं.
क्या आप विदेश में धन कमाकर एक सफल उद्यमी बन सकते हैं?
तो आइये जानते हैं कि कैसे आप अपनी कुंडली की सहायता से देख सकते हैं कि आप कब विदेश यात्रा पर जायेंगे-
1. अगर कुंडली के कर्म स्थान में ब्रहस्पति बैठा हो (जो भाग्य का मालिक होता है) तो यह केंद्रादित्य योग बनता है. यदि किसी जातक की कुंडली में यह योग होता है तो उस व्यक्ति का व्यवसाय विदेश में होने की प्रबल संभावना बन जाती है.
2. अगर आपकी कुंडली में बुध आठवें भाव में स्थित हो या कुंडली में बृहस्पति चतुर्थ, छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थित है तब आप विदेश यात्रा कर सकते हैं.
3. अगर कर्म स्थान पर बुध या सूर्य की दृष्टी हो या इन ग्रहों में से कोई ग्रह कर्म के स्थान (दसवें भाव) में विराजमान हो तो यह लक्ष्मी नारायण योग बनता है. व्यक्ति का यह योग विदेश यात्रा के साथ-साथ धन के लिए भी उपयोगी होता है.
4. जातक की जन्म कुंडली में अगर मंगल उच्च का होकर कर्म भाव में विराजमान है तो ऐसे व्यक्ति को व्यवसाय और विदेश यात्रा के अच्छे संयोग बन जाते हैं.
5. कुंडली के केंद्र में अगर कहीं भी गुरू और सूर्य या चंद्रमा और गुरु की युक्ति (मेल-मिलाप) बन रहा हो तो इस योग का सीधा प्रवाह कर्म को जाता है. शास्त्रों में इसे वर्गोतम योग बोला जाता है. इस योग में व्यक्ति को सभी प्रकार की सुख-सुविधायें प्राप्त होती हैं.
6. राहू भी अगर कर्मभाव की तरफ देखता है या कर्म भाव में उच्च का होकर विराजमान हो तो यह भी योग व्यवसाय के लिए अच्छा माना जाता है. बेशक शनि, राहू और केतु अशुभ ग्रह माने जाते हैं किन्तु कई बार योग के कारण यह ग्रह अच्छे फल प्रदान कर देते हैं.
तो अब आप अपनी कुंडली की मदद से जान सकते हैं कि क्या आपकी कुंडली में विदेश यात्रा का योग है.
आजकल ऑनलाइन इन्टरनेट पर आप अपनी कुंडली बनाकर इन शुभ कारकों को अपनी कुंडली में बड़ी आसानी से खोज सकते हैं.