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विश्व के इस सबसे सस्ते हथियार बाज़ार में खिलोनों के दाम मिलती है असली AK – 47

हथियारों का बाजार

पाकिस्तान में पेशावर से 35 किलोमीटर दूर एक जगह है जिसका नाम दारा आदमखेल है, एक बाजार सजती है.

अगर आप सोच रहें हैं कि यह बाजार मांस-मछली, सब्जी, खिलौने या कपड़े का होता है तो आप गलत हैं. दरअसल यहां हथियारों का बाजार सजता हैं जहां आप खुलेआम सड़क पर एके-47, एके-56 जैसे खतरनाक राइफल से लेकर विश्व की एलीट फोर्सेज द्वारा प्रयोग की जाने वाली आधुनिक ऑटोमैटिक बंदूके, हैंड ग्रेनड और रॉकेट लॉंचर आदि सब बिकता है. वह भी इतने सस्ते दाम में कि आपको विश्वास नहीं होगा.

आतंकवादियों और अन्य अपराधियों के लिए यह हथियारों का बाजार किसी स्वर्ग से कम नहीं है.

हथियारों का बाजार

यहां से विश्व के हर कोने में हथियार सप्लाई किया जाता है. यह बाजार 80 के दशक में लगने शुरू हुई जब अफगानिस्तान पर रुस की फौज का कब्जा था. तब यह जगह अफगानी लड़ाकों को सस्ते हथियार उपलब्ध कराने के लिए एक प्रमुख केंद्र बनकर उभरी. अमेरिका के सह पर पाकिस्तान इन अफगानी लड़ाकों को पूरी मदद मुहैया करा रहा था. अफगानिस्तान से रुस के चले जाने के बाद ना सिर्फ अफगानिस्तान पर  बल्कि पाकिस्तान के भी एक बड़े हिस्से में तालिबानियों का कब्जा हो गया.

आज दारा आदमखेल हथियारों का बाजार और तालिबानी आतंकवादियों का एक प्रमुख अडाडा बन गया है.

यहां करोड़ों में बिकने वाले एके-47 और एके-56 जैसे हथियार 6000-7000 रुपए में मिल जाते है. यहां हर दुकानदार कई-कई हजार बंदूके और अन्य गोला बारूद बेच चुका है. बंदूक बेचने से पहले ग्राहक इन्हें बकायादा टेस्ट करते हैं.

पाकिस्तान सरकार ने हथियारों का बाजार से तालिबान का कब्जा खत्म करने की कोशिशें तो बहुत की पर उसकी कोशिशें अपर्याप्त रहीं.

दरअसल इस इलाके में पाकिस्तान की सरकार का कानून तक नहीं चलता. पाकिस्तान सरकार का कोई भी कर्मचारी इस इलाके में बिना तालिबानी आतंकवादियों की इजाजत के प्रवेश तक नहीं कर सकते.

इस शहर की हालत देखकर एक बात तो साफ हो जाती है कि पाकिस्तान को भारत से दुश्मनी मोल लेने बजाए अपने आंतरिक कानून व्यवस्था की स्थिति को सुधारने पर अधिक ध्यान देना चाहिए.