पुराने जमाने में चैटिंग – आज के दौर में यदि एक घंटे के लिए भी व्हॉट्सअप बंद हो जाए या इंटरनेट डिस्कनेक्ट हो जाए तो ऐसा लगता है कि दुनिया की रफ्तार ही थम गई है, हम अपाहिज हो गए हैं.
किसी से चैट नहीं कर पाने पर कुछ देर में ही हम बेचैन हो जाते हैं, क्योंकि हमें हर पल अपने स्मार्टफोन पर चिपके रहने की आदत जो हो गई है. अपने आसपास भी आपने देखा होगा कि लोग किसी न किसी माध्यम से चैटिंग में बिज़ी रहते हैं, कोई अपने गर्लफ्रेंड/बॉयफ्रेंड से कोई दोस्त व परिवार वालों से तो कोई पत्नी से चैटिंग में बिज़ी रहता है.
लेकिन क्या आप जानते है जब पुराने समय में इंटरनेट नहीं था तब पुराने जमाने में चैटिंग कैसे होती थी यानी कैसे एक जगह से दूसरी जगह संदेश भेजा जाता था.
नहीं जानतें, तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि बिना इंटरनेट और स्मार्टफोन के पुराने जमाने में चैटिंग कैसे की जाती थी. हालाँकि आज की तरह पुराने समय में मैसेज कुछ सेकंड में नहीं पहुंच जाते थे, थोड़ा समय जरुर लगता था लेकिन एक जगह से दूसरी जगह संदेश पहुंचाएं भी जाते थे और जवाब भी मिलते थे. कैसे होता था ये सब चलिए आपको बताते हैं.
पुराने जमाने में चैटिंग ऐसे होती थी –
1. कबूतर-
आपने फिल्मों में देखा ही होगा कबूतरों को चिट्ठी ले जाते हुए. दरअसल, ये पुराने ज़माने का संदेश पहुचाने का सबसे फ़ास्ट और सटीक साधन हुआ करता था. कबूतरों ने कई सालों तक लोगों के संदेश पहुंचाएं है.
2. संदेश वाहक-
पहले राजाओं के दरबार में संदेश वाहक के रूप में कुछ लोगों को रखा जाता था जो राजाओं के संदेशों को गुप्त तरीके से एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाते थे.
3. पेड़ों पर छोड़े जाते थे संदेश-
जिस तरह आज के समय में एडवर्टाइजिंग से संदेश दिया जाता है पुराने समय में पेड़ो पर इस तरह के संदेशो को उकेरा जाता था, ताकि और भी लोगों तक उनकी बातें पहुंच सके.
4. टेलीपेथी-
इशारों में बात करने या संदेश पहुंचाने को टेलीपेथी कहते है. यह एक बहुत पुरानी तकनीक है जिससे आपकी बात सामने वाले तक पहुँच भी जायेगी और किसी को पता भी नहीं चलेगा।
5. अलग-अलग रंग के झंडों से-
पुराने ज़माने में लोग झंडों के आधार पर बात कर लिया करते थे झंडो के रंगों में उनका संदेश छुपा होता था. अक्सर गुप्तचर को संदेश पहुंचाने के लिए इन झंडों का इस्तेमाल किया जाता था.
6. पेड़ों से बात-
कई पुराने किस्सों में इस बात का ज़िक्र है कि पुराने ज़माने में लोग पेड़ों से अपने दिल की बात कर लिया करते थे, क्योंकि उस ज़माने में पेड़ भी बात करते थें.
कुछ इस तरह से पुराने जमाने में चैटिंग होती थी – आज भले ही हम फेसबुक और व्हाट्सएप्प के जरिये चैटिंग करते है या संदेश पहुँचाते है, लेकिन हमारे पूर्वज तो कबूतरों के ज़रिए ही ये काम कर लिया करते थे. मैसेज भेजने के ये पुराने तरीके है न बहुत क्रिएटिवि. इससे आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि स्मार्टफोन न होने के बाद भी ये लोग कितना स्मार्ट थे, जो अपनी बात पहुंचाने के लिए नई-नई तकनीक इजाद कर लेते थे.
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