सप्त ऋषियों के नामों का जप – यार किस्मत ही खराब चल रही है, मेरा तो वक्त ही ठीक नहीं चल रहा, जो भी काम शुरू करता हूं वो खराब ही हो जाता है, ये कुछ ऐसी बातें हैं जो आपने अक्सर ही आपने आस-पास के लोगों से सुनी होंगी। कई बार ऐसा होता है कि आप बहुत मेहनत करते हैं, जी जान से चीज़ों के लिए कोशिश करते हैं लेकिन वो काम नहीं हो पाता।
अगर बिना मेहनत करे ही आप किस्मत को दोष देने लगते हैं तो ये आपकी गलती है लेकिन अगर आपके बहुत मेहनत करने के बावजूद किस्मत आपका साथ नहीं देती, आपका काम बस होते-होते रह जाता है, अगर वक्त ऐसा आता है कि आपको लगता है बस काम हो ही गया लेकिन फिर भी वो काम नहीं होता बल्कि उसके उलट कोई ना कोई अड़चन उनका काम बिगाड़ ही देती है।
अगर आप भी बहुत मेहनत कर रहे हैं लेकिन आपको ना तो आर्थिक रूप से लाभ हो रहा है और ना ही आप सफलता हासिल कर पा रहे हैं तो इसकी वजह कुछ ग्रह भी हो सकते हैं।
जी हां, आपकी कुंडली में कुछ ऐसे दोष होते हैं जिनके कारण आपकी सफलता की राह में अड़चनें हासिल आ सकती हैं।
जी हां, कई बार अनजाने में या जानबूझकर लोग कुछ ऐसा कर जाते हैं जो उनके बुरे समय का कारण बनते हैं। ये कुछ ऐसी बाते होती हैं जो आपकी सफलता पर ग्रहण लगा सकती हैं साथ ही आपको आर्थिक रूप से भी कमज़ोर बना सकती हैं।
कई लोगों के साथ ऐसा होता है कि वो पैसा कमाते हैं लेकिन जैसे ही उनके पास पैसा आता है, वो खर्च भी हो जाता है। ऐसा नहीं है कि ये लोग फिजूलखर्ची करते हैं लेकिन इनके पास पैसा आने से पहले ही बड़ी ज़रूरतें आ जाती हैं।
अगर आप भी इसी समस्या के शिकार हैं तो आपको परेशान होने की बिल्कुल ज़रूरत नहीं है क्योंकि यहां हम आज आपके लिए कुछ ऐसे उपाय लेकर आए हैं जिनकी मदद से आप अपने दुर्भाग्य को दूर कर सकते हैं और अपनी मेहनत का फल पा सकते हैं।
इसके लिए आपको सुबह उठते ही सप्त ऋषियों के नामों का जप करना है, सुबह इनका नाम लेने मात्र से – सप्त ऋषियों के नामों का जप से आपकी सारी परेशानियां अपने आप दूर होती जाएंगी।
सप्त ऋषियों के नामों का जप –
ऋषि विश्वामित्र – इन्होंने गायत्री मंत्र लिखा था और इन्हें भगवान राम और लक्ष्मण के गुरू के तौर पर जाना जाता है।
ऋषि वशिष्ठ – ऋषि वशिष्ठ राजा दशरथ के चारों पुत्रों रांम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के गुरु थे। इनका जन्म ब्रह्माजी की इच्छा शक्ति से हुआ है।
ऋषि द्रोणाचार्य- कौरवों और पांडवों के गुरू द्रोणाचार्य भी इनमें से एक हैं।
ऋषि अग्सत्य – ऋषि अग्सत्य की भी सप्त ऋषियों में महत्वपूर्ण भूमिका है।
ऋषि भृगु – सुबह उठकर ऋषि भृगु का नाम भी ज़रूर लेना चाहिए।
ऋषि कश्यप – कश्यप गोत्र के रचयिता ऋषि कश्यप भी इन्हीं में से हैं।
ऋषि अत्रि – श्रीराम और देवी सीता वनवास के दौरान अत्रि के आश्रम में ही रूके थे। इनकी पत्नी अनुसूइया थी।
ऐसा माना जाता है कि अगर आप सुबह उठते के साथ ही इन सप्त ऋषियों के नामों का जप करते हैं तो आपका सारा दुर्भाग्य दूर हो जाएगा और आपको अपनी किस्मत का साथ मिलने लगेगा।
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