देश के मंदिर – भारत को 1947 में आजादी मिली थी और तब से लेकर अब तक देश की अर्थव्यवस्था, मुद्रा, इमारतों, सरकार और मंदिरों में बहुत बदलाव आ गया है।
आज हम आपको इस लेख के ज़रिए यही बताने जा रहे हैं कि 1947 से 2018 तक देश के मंदिर में क्या बदलाव आए हैं।
देश के मंदिर –
बद्रीनाथ मंदिर
उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ मंदिर से ही पांडवों को स्वर्ग जाने का रास्ता मिला था।
आजादी के दौरान लोग तीर्थयात्रा में इतना ज्यादा विश्वास नहीं रखते थे और यही कारण था कि बद्रीधाम की यात्रा की कोई खास व्यवस्था नहीं की गई थी लेकिन आज अगर आप इस मंदिर पर नज़र डालें तो आपको इसमें आए बदलाव का साफ पता चल जाएगा।
अब मंदिर में जाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है और मंदिर के कपाट खुलने का समय एक-दो महीने पहले ही श्रद्धालुओं को बता दिया जाता है।
शिर्डी साईं मंदिर
देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में शिर्डी के साईं बाबा की लोकप्रियता है।
इस मंदिर को पहले इतनी ख्याति प्राप्त नहीं थी बल्कि पहले तो यहां पर बस स्थानीय लोग ही पूजा करने आया करते थे लेकिन अब शिर्डी के साईं बाबा मंदिर में हर रोज़ लाखों-करोड़ों का चढ़ावा आता है और अब मंदिर में पैसे देकर आप वीवीआईपी और वीआईपी लाइन में लगकर दर्शन भी कर सकते हैं। मंदिर में साईं के दर्शन को बिजनेस बना लिया गया है।
जितने ज्यादा आप पैसे देंगें उतने ही ज्यादा करीब से आप बाबा के दर्शन कर सकते हैं।
अमरनाथ की यात्रा
1947 में या इससे पहले तो शायद किसी ने अमरनाथ की कठिन यात्रा के बारे में सोचा तक नहीं होगा।
पहाड़ों पर स्थित भोलेबाबा तक पहुंचना बहुत ही ज्यादा कठिन होता है लेकिन अब कई सालों से इस यात्रा को आसान बनाने का काम चल रहा है। अब यात्रा के लिए घोड़े मिल जाते हैं और जगह-जगह पर यात्रियों के लिए भोज और अन्न-जल का प्रबंध भी किया गया है।
सुरक्षा के लिहाज़ से यहां कदम-कदम पर फौजी खड़े रहते हैं।
वैष्णो देवी मंदिर
वैष्णों देवी मंदिर का महत्व तो सदियों पुराना है लेकिन इस मंदिर को सबसे ज्यादा लोकप्रियता पिछले 20 सालों में ही मिली है।
पहले 12 किलोमीटर की लंबी खड़ी चढ़ाई पार कर श्रद्धालुओं को माता के दर्शन करने जाना पड़ता था लेकिन अब चढ़ाई के लिए पक्का रास्ता बना दिया गया है और यहां पर ऑटो या रिक्शा चलाने की भी मांग बढ़ रही है। इसके अलावा मंदिर में स्थापित माता की तीन पिंडियों की जगह विशाल मंदिर बनाया दिया गया है।
अब श्रद्धालु पिंडी के दर्शन कम ही कर पाते हैं।
केदारनाथ मंदिर
उत्तराखंड की पहाडियों में स्थित चारधामों में से एक केदारनाथ मंदिर का तो पूरा स्वरूप ही बदल गया है। अब इस मंदिर में पहले जैसी कोई बात नहीं रही है। आपको तो पता ही होगा कि कुछ सालों पहले मंदिर में भयंकर तूफान और बाढ़ आई थी जिसमें लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। कहते हैं कि मंदिर की जमीन में कई फीट गहराई तक लोगों की लाशें गढ़ी हैं और इसका कारण भगवान शिव का प्रकोप बताया जाता है। पहले केदारनाथ मंदिर पहुंचना इतना आसान नहीं था लेकिन अब आप यहां हेलिकॉप्टर से भी पहुंच सकते हैं।
ये है देश के मंदिर में बदलाव – पहले के मुकाबले अब लोगों की आस्था मंदिरों के प्रति ज्यादा बढ़ रही है। इसे लोगों के दिल में ईश्वर के प्रति आस्था कहें या फिर ये उनके मन का कोई डर है ?
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