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चंद्र शेखर आजाद और भगत सिंह की पिस्तौल के बारे में तो सुना होगा लेकिन ये बातें नहीं जाने होंगे आप

चंद्र शेखर आजाद और भगत सिंह

स्वतंत्रता संग्राम के महानायक चंद्र शेखर आजाद और भगत सिंह में आजादी की लड़ाई और विचारों को लेकर यूं तो कई समानताएं थी. लेकिन एक ऐसी समानता कहिए या खासियत इन क्रांतिकारियों के बीच थी जिसके बारे में बहुत ही कम कम लोगों को जानकारी है.

वह यह कि चंद्र शेखर आजाद और भगत सिंह ही क्रांतिकारी एक ही कंपनी की पिस्तौल अपने पास रखते थे. चंद्र शेखर आजाद और भगत सिंह क्रांतिकारी अपने पास अमेरिका निर्मित 32 बोर का कोल्ट कंपनी का पिस्तौल रखते थे.

जी हां, अंग्रेजों ने चंद्र शेखर आजाद और भगत सिंह से जो पिस्तौल बरामद की थी वे कोल्ट कंपनी की ही थी. जहां तक चंद्र शेखर आजाद की पिस्तौल की बात है तो वह आज इलाहाबाद स्थित संग्राहालय में रखी है.

वहां काफी लोगों ने इसके दर्शन किए हैं. भगत सिंह की पिस्तौल बहुत ही कम लोग देख पाएं है. लेकिन अब भगत सिंह को पिस्तौल को भी लोग उसी प्रकार देख पाएंगे जिस प्रकार उन्हें च्रंद शेखर आजाद की पिस्तौल के दर्शन करने के सौभाग्य मिलते हैं.

90 साल पहले 17 दिसंबर 1928 को भगत सिंह ने अंग्रेज अफसर जॉन सांडर्स को इसी पिस्तौल की गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था. क्योंकि साइमन कमीशन की खिलाफत करते हुए लाठीचार्ज में घायल होकर लाला लाजपत राय ने दम तोड़ दिया था. लाला जी की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह और राजगुरू ने सांडर्स को मार डाला था.

बहराल, वह 90 साल बाद वह पिस्तौल अब पंजाब में देखने को मिलेगी. जब भी आप पंजाब जाएं तो इसे देख सकते हैं.

दरअसल, शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह की पिस्तौल साढ़े 47 वर्ष बाद पंजाब में वापस लाई गई है. अब शीघ्र ही इसे हुसैनीवाला स्थित शहीदों की समाधि पर प्रदर्शित किया जाएगा. सीमा सुरक्षा बल के इंदौर स्थित सेंट्रल स्कूल ऑफ वेपन्स एंड टैक्टिक्स ने यह ऐतिहासिक पिस्तौल सीमा सुरक्षा बल के जालंधर मुख्यालय को सौंपने की कार्रवाई को स्वीकृति प्रदान कर दी है.

गौरतलब है कि पूर्व में अबोहर में बैंक अधिकारी के रूप में सेवारत रहे और वर्तमान में चंडीगढ़ स्थित पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हरीचंद अरोड़ा ने एक जनहित याचिका दायर करके यह पिस्तौल पंजाब के सुपुर्द करने की गुहार लगाई थी.

अमेरिका निर्मित 32 बोर का यह पिस्तौल आखिरी बार फिल्लौर स्थित पंजाब पुलिस अकादमी में 7 अक्टूबर 1969 में देखी गई थी. इसके बाद राष्ट्रपति के आदेशानुसार जो आठ पिस्तौल इंदौर भेजी गई थी उनमें यह पिस्तौल भी शामिल थी.

बताया जाता है कि सीमा सुरक्षा बल के इंदौर स्थित शिक्षा केन्द्र में जवानों को हथियारों की तकनीक का विकास दर्शाने के लिए इन पिस्तौलों को वहां भेजा गया था.

लेकिन जब हरीचंद अरोड़ा ने जनहित याचिका दायर करके यह पिस्तौल पंजाब को लौटाने की गुहार लगाई तो तत्कालीन वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल और पंजाब पुलिस मुख्यालय ने यह मुद्दा केन्द्रीय गृह मंत्रालय एवं सीमा सुरक्षा बल के राष्ट्रीय कार्यालय के समक्ष उठाया था.

अब जनहित याचिका के निस्तारण तक यह पिस्तौल पंजाब के पास ही रहेगी.