चंद्रशेखर आजाद से जुडी घटना – अंग्रजों की गुलामी से देश को आजाद करवाने के लिए अनगिनत वीरों ने अपनी जान की कुर्बानी दी और उनमें से एक थे चंद्रशेखर आजाद। चंद्रशेखर आजाद ने देश की आजादी में बहुत बड़ा योगदान दिया। उन्हें बहुत ही कम उम्र में ब्रिटिश सरकार ने फांसी के तख्ते पर लटका दिया था।
चंद्रशेखर ना सिर्फ देशभक्त थे बल्कि वो बहुत दयालु भी थे।
आज हम आपको उनके जीवन से जड़ी एक ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे आपको पता चल जाएगा कि देश को स्वतंत्रता दिलवाने वाले सैलानियों में शामिल चंद्रशेखर आजाद का दिल कितना बड़ा था।
चंद्रशेखर आजाद से जुडी घटना –
काकोरी कांड
काकोरी कांड के तहत 10 क्रांतिकारियों ने काकोरी ट्रेन को लूटा था। इस ट्रेन में अंग्रजों का पैसा जा रहा था। आजाद ने अपने क्रांतिकारी साथियों के साथ मिलकर इस पैसे को अंग्रेज सिपाहियों के कंधे पर बंदूक रखकर निकाल लिया। अंग्रेजी हुकूमत से लूटे गए ये पैसे काफी थे। इतनी बड़ी रकम की चोरी से ब्रिटिश सरकार आग बबूला हो गई। जिन लोगों ने ट्रेन को लूटा था उन्हें गोरे सिपाहियों ने ढूंढ-ढूंढ कर मारना शुरु कर दिया।
10 में से 5 क्रांतिकार पकडे गए और गोरों ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया। आजाद वेश बदलकर रहने लगे। इस तरह वो एक बार फिर अंग्रजों की नज़र में धूल झोंकने में कामयाब रहे। नंगे पैर विंध्या के जंगलों से चलकर वो कानपुर पहुंच गए। यहां उन्होंने एक नई क्रांति की शुरुआत की जिसमें भगत सिंह भी शामिल थे।
दोस्त के लिए करवाई गिरफ्तारी
उपरोक्त बताए गए काकोरी कांड के बाद ब्रिटिश पुलिस आजाद के खून की प्यासी हो गई थी। सांडर्स की हत्या, काकोरी कांड और असेंबली बम धमाके के बाद आजाद फरार होकर झांसी आ गए और यहां उन्होंने अपनी जिंदगी के 10 साल फरार रहते हुए बिताए। इसमें उनका अधिकतर समय झांसी और इसके आसपास के जिलों में बीता।
इस दौरान उनकी मुलाकात मास्टर रुद्रनारायण सक्सेना से हुई। वो भी स्वतंत्रता आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई। आजाद कई सालों तक उनके घर पर रहे और अकसर दोनों एक कमरे के नीचे बनी गुप्त जगह पर अंग्रेजों से बचने के लिए छिप जाते थे। साथियों के साथ मिलकर दोनों यहीं प्लान बनाया करते थे।
रुद्रनारायण ना केवल क्रांतिकारी थे बल्कि एक पेंटर भी थे। एक हाथ में बंदूक और दूसरे हाथ से मूंछ पकड़े हुए आजाद की फेमस तस्वीर उन्होंने ही बनाई थी। कहते हैं कि आजाद का ये चित्र बनाने के लिए चंद्रनारायण ने काफी समय तक उन्हें इसी पोज़ में खड़े रखा था।
बताया जाता है कि अंग्रेज आजाद को पहचानते नहीं थे और जब उन्हें इस तस्वीर का पता चला तो वो इसके लिए मुंह मांगी कीमत देने को तैयार हो गए। इसके अलावा एक और तस्वीर है जिसमें आजाद अपने दोस्त रुद्रनारायण के परिवार के साथ बैठे हुए हैं। इस समय रुद्रनारायण के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। आजाद से ये सब देखा नहीं गया और उन्हें ईनाम की रकम दिलवाने के लिए वो सरेंडर करने को तैयार हो गए।
चंद्रशेखर आजाद से जुडी घटना – आज भी मास्टर रुद्रनारायण के घर में चंद्रशेखर आजाद के साहस की आवाज़ गूंजती है। वहां पर वो पलंग आज भी रखा हुआ है जहां पर कभी आजाद बैठा करते थे।