मां दुर्गा के नौ रूपों में पहला स्वरूप ‘शैलपुत्री’ के नाम से विख्यात है.
कहा जाता है कि पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम ‘शैलपुत्री’ पड़ा. दूसरे दिन मां के दूसरे स्वरूप ‘ब्रह्मचारिणी’ की पूजा अर्चना की जाती है.
दुर्गा जी का तीसरा स्वरूप मां ‘चंद्रघंटा’ का है.
तीसरे दिन की पूजा का अत्यधिक महत्व माना गया है. पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती है.
पांचवां दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है. स्कंदमाता अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं. दुर्गा जी के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी और सातवें स्वरूप का नाम कालरात्रि है.
मान्यता है कि सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा से ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है. दुर्गा जी की आठवें स्वरूप का नाम महागौरी है. यह मनवांछित फलदायिनी हैं.
दुर्गा जी के नौवें स्वरूप का नाम सिद्धिदात्री है.
ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं नौवें दिन भगवती के देवी सिद्धदात्री स्वरूप का पूजन किया जाता है. सिद्धिदात्री की पूजा से नवरात्र में नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान पूर्ण हो जायेगा.
इस बार नवरात्रे आठ दिनों के हैं. इसलिए दुसरे दिन दो देवी रूपों की पूजा की जाएगी.
9 अप्रैल को दो तिथियाँ एक साथ पड़ रही हैं.
आइये एक नजर डालते हैं शारदीय नवरात्र की तिथियों पर जो निम्न प्रकार से हैं-
8 अप्रैल 2016 – इस दिन घटस्थापना और नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जायेगी.
9 अप्रैल 2016- नवरात्र के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जायेगी.
9 अप्रैल 2016- नवरात्र के दूसरे दिन ही देवी चंद्रघंटा जी की पूजा की जायेगी.
10 अप्रैल 2016- नवरात्र के तीसरे दिन मां भगवती के देवी कूष्मांडा स्वरूप की उपासना की जायेगी.
11 अप्रैल 2016 -नवरात्र पर्व के चौथे दिन मां स्कंदमाता की पूजा स्वरूप की पूजा की जाएगी.
12 अप्रैल 2016- नवरात्र के पांचवे दिन माता कात्यायनी पूजा की जायेगी.
13 अप्रैल 2016- इस दिन माँ कालरात्रि की पूजा करनी होगी.
14 अप्रैल 2016 – नवरात्र के सातवें दिन मां महागौरी की पूजा की जायेगी. इस दिन कई लोग कन्या पूजन भी करेंगे.
15 अप्रैल 2016 – आठवें दिन भगवती के देवी सिद्धदात्री स्वरूप का पूजन किया जायेगा. सिद्धिदात्री की पूजा से नवरात्र में नवदुर्गा पूजा का अनुष्ठान पूर्ण हो जायेगा.