नवरात्रों का अर्थ मात्र यह नहीं है कि आप बस व्रत करें और आपको दुखों से मुक्ति प्राप्त हो जाएगी.
व्रत तो मात्र एक तपस्या की विधि है. जब तक किसी तपस्या के अन्दर मन्त्रों द्वारा उच्चारण ना हो तब तक व्यक्ति को शक्ति की प्राप्ति नहीं हो पाती है.
अगर आप चाहते हैं कि आपको आने वाले नौ दिनों में आपकी मुराद पूरी हो जाये और आपको सुख की प्राप्ति हो तो उसके लिए आपको पूजा की इस विधि का पालन जरुर करना चाहिए.
ध्यान रहे कि आप 9 दिन तक अगर फलाहार या नींबू पानी पर रह सकते हो तो जरुर रहें.
सबसे पहले नवरात्रों में घट स्थापना की सही विधि का आपको पता होना चाहिए.
आइये पढ़ते हैं कि कैसे कि जाती है घट स्थापना-
कैसे करें घट स्थापना
घट स्थापना में प्रयोग की जा रही मिट्टी किसी पवित्र जगह की होनी चाहिए. उस मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें जौ या गेहूं बोएं. तब उसके बाद उसके ऊपर सोने, तांबे अथवा मिट्टी के कलश की स्थापना करें. कलश के ऊपर सोना, चांदी, तांबा, मिट्टी, पत्थर या चित्रमयी मूर्ति जरुर रखें.
मूर्ति न हो तो कलश पर स्वस्तिक बनाकर दुर्गाजी का चित्र पुस्तक तथा शालिग्राम को विराजित कर भगवान विष्णु का पूजन करें. नवरात्रि व्रत के आरंभ में सबसे पहले स्वास्तिक पाठ पढ़े फिर गणेश जी की पूजा करें और तब माता जी की आरती करें.
कलश स्थापना के दिन ही, मां भवानी का ध्वज फहराएं जिसमें हनुमानजी अंकित हों, ध्वजा में हनुमानजी का निवास बहुत ही शुभ माना गया है. जिन घरों में पहले से ज्वारे बोने का विधान हैं वहीं इसें करें. ज्वारे बोने के नियम बहुत कठिन हैं. यदि आप इन्हें पूरी श्रद्धा से कर सकें तभी ज्वारे बोएं अन्यथा नहीं.
कैसे करें पूजा
नवरात्रों में एक तो व्यक्ति को प्रतिदिन माता की पूजा करनी होती है. पूजा सुबह और शाम नित्य रोज करें. पूजा के समय आप दिन के अनुसार माता की आरती करें. क्योकि नौ के नौ दिनों में अलग-अलग माता के रूप की पूजा की जाती है. रोज साफ कपड़े पहनें और किसी भी तरह के गलत काम ना करें.
सबसे महत्वपूर्ण बात
अब अगर आपको इन नौ दिनों में माता से किसी भी तरह की शक्ति प्राप्त करनी है तो आप देवी के रूप से अनुसार उनके मन्त्र का जाप करें.
जैसे कि पहले दिन माँ शैलपुत्री जी की पूजा की जाती है तो उनका मंत्र है –
प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।
मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रमनाम्यहम्॥
यह स्त्रोत पाठ भी बोला जाता है. इस पाठ को अगर कोई व्यक्ति एक ही बार में 108 बार जपता है और इसी तरह से अन्य माताओं के पाठ उनके दिन के अनुसार जपता है तो इन 9 दिनों में आपकी हर मुराद पूरी हो सकती है.
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