शिक्षा और कैरियर

कैट परीक्षा में बदलाव की तैयारी में आईआईएम, खत्म होगा इंजीनियर्स का दबदबा

भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) में शुरुआत से ही इंजीनियरिंग के छात्रों का दबदबा रहा है और यहां लड़कियों की संख्या नाममात्र की है, लगता है देर से ही सही आईआईएम को समझ आ गया है कि कैट परीक्षा का पैटर्न इंजीनियरिंग छात्रों के हक में है जिससे बाकी छात्र पीछे रह जाते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि कैट परीक्षा के प्रश्नों में इस साल से कुछ बदलाव किए जाएंगे.

आईआईएमए समेत देश के प्रतिष्ठित बिज़नेस कॉलेज में एडमिशन के लिए हर साल कैट की परीक्षा आयोजित की जाती है. आईआईएम और बाकी प्रतिष्ठित बिज़नेस कॉलेजों ने निकलें बच्चे कॉरपोरेट जगत में ऊंची पोस्ट पर जाते हैं, इसलिए ये परीक्षा पास करना हर स्टुडेंट का सपना होता है, मगर ये परीक्षा पास करना आसान नहीं है. कैट की परीक्षा का ढांचा कुछ ऐसा ही कि ये इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए आसान है और बाकि विषय के छात्र इसमें पास नहीं हो पातें. अकेले आईआईएम कोलकाता में 88 प्रतिशत इंजीनियरिंग के छात्र है.

हालांकि अब बाकी छात्रों के लिए एक खुशखबरी है कि आईआईएम एकेडमिक विविधता चाहता है इसके लिए वो इस साल होने वाली कैट परीक्षा के प्रश्नों में बदलाव करेगी. हालांकि इसका व्यापक पैमाना नहीं बदला जाएगा, मगर प्रश्न पत्र इस तरह बनाए जाएंगे ताकि सभी स्ट्रीम के छात्रों को फायदा हो.

आईआईएम कोलकाता के एक प्रोफेसर ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि पैटर्न में कोई बदलाव नहीं होगा ये पहले की तरह ही तीन रहेंगे-

पहले सेक्शन- वर्बल एबिलिटी और रिडिंग कॉम्प्रिहेंसन

दूसरा सेक्शन- डेटा इंटरप्रेटेशन और लॉजिकल रिज़निंग

तीसरा सेक्शन- क्वांटिटिव एबीलिटी

मगर इन तीनों सेक्शन के तहत दिए जाने वाले प्रश्नों में बदलाव किया जाएगा जिससे सभी को फायदा हो. कैट परीक्षा के लिए कोई सिलेबस नहीं होता, सिर्फ मॉक टेस्ट होता है, जिससे संबंधित जानकारी जल्द ही कैट की वेबसाइट पर पब्लिश की जाएगी। इसके आधार पर स्टूडेंट प्रश्न पत्र का पैटर्न समझ पाएंगे. छात्रों को तीनों सेक्शन के प्रश्न हल करने के लिए 3 घंटे का समय मिलता है. यह कप्यूटर आधिरत परीक्षा होती है. जानकारों का कहना है कि अब तक इस पीक्षा में रिज़निंग और एनालिटिकल एबीलिटी पर ज्यादा ध्यान दिया जाता था बजाय ग्रामर और वोक्बलरी के, इसलिए इंजीनियरिंग स्टुडेंट बाज़ी मार ले जाते थे. जहां तक जेंडर इक्वैलिटी का सवाल है तो पहले के मुकाबले आईआईएम में छात्राओं की संख्या बढ़ी है.

बहरहाल, इस बार की कैट परीक्षा में होने वाले बदलाव से उम्मीद है कि नॉन इंजीनियरिंग छात्रों का भी आईआईएम में पढ़ने और कॉरपोरेट जगत में प्रतिष्ठित पोस्ट पाने का सपना शायद पूरा हो जाए, मगर इतना तो तय है कि इस पीरक्षा में पास होना आसान नहीं है, इसके लिए जीतोड़ मेहनत करनी होगी.

Kanchan Singh

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