हर बड़ी घटना के बाद सीबीआई जांच की मांग की बाढ़ सी आ जाती है.
पर क्या सीबीआई जांच ही एकमात्र समाधान है. हमेशा से सीबीआई को सरकारी कठपुतली के रूप में देखा जाता आया है. खुद सुप्रीम कोर्ट ने कोयला घोटाले पर सुनवाई के वक्त सीबीआई को “पिंजरे में बंद तोता” कहा था.
सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि सीबीआई स्वतंत्र संस्था होते हुए भी स्वतंत्र नहीं है. और ये बात किसी से छिपी भी नहीं है की सीबीआई का काम सरकार के अनुसार होता है. सरकारें बदलती है सीबीआई के काम का तरीका भी बदलता है.
अभी व्यापम घोटाले में सीबीआई जांच की मांग बढ़ गयी है. तो क्या सीबीआई के जांच शुरू करते है ये मामला सुलझ जाएगा?
खैर हम आपको ऐसे मामले दिखाते हैं जिसे सीबीआई सुलझाने में नाकाम रही.
1- बोफोर्स कांड-
सीबीआई ने दिल्ली चीफ मेट्रोपोलिटन कोर्ट में बोफोर्स केस को बंद किये जाने के लिए एप्लीकेशन दिया. जिसमे सीबीआई ने सीआरपीसी की धारा 321 के तहत विथड्रावल रिपोर्ट दर्ज की और कहा इतालियन बिजनेसमैन क्वात्रोकी को भारत लाने का और कोर्ट ट्रायल का हर प्रयास विफल रहा.
2- 1984 सिख विरोधी दंगे-
कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर जो की सिख विरोधी दंगे के प्रमुख आरोपी थे. मामले के 26 साल बाद कोर्ट से ऐसे बरी हुए जैसे कुछ हुआ ही न हो. सीबीआई ने अपने क्लोजर रिपोर्ट में टाइटलर को क्लीन चिट दे दी.
3 – आरुषी हत्याकांड-
2008 में नॉएडा में एक 14 साल की लड़की आरुषी तलवार की घर में हत्या होती है. सीबीआई इस मामले की दो बार जांच करती है और नाकाम रहती है.सीबीआई दूसरी बार मामले को बंद करने की कोर्ट से सिफारिश करती है. कोर्ट इसे ठुकरा देती है. आरुषी हत्याकांड की जांच के मामले में सीबीआई की बहुत थू थू हुई.
4- रुचिका गिरहोत्रा केस-
बहुचर्चित रुचिका गिरहोत्रा केस में पुलिस को हरियाणा की पूर्व पुलिस प्रमुख एसपीएस राठौर के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला. और सीबीआई ने अदालत में इस केस में एक क्लोजर रिपोर्ट दर्ज की.सीबीआई ने रुचिका के पिता और भाई द्वारा लगाये गए 8 आरोप का बिंदुवाद खंडन किया और मामला यही ख़त्म हो गया.
5- बदायूं बलात्कार और हत्याकांड-
पिछले साल बदायूं में दो लड़कियों की लाश पेड़ से टंगी मिली. FIR के अनुसार लड़कियों का बलात्कार कर हत्या कर पेड़ से टांग दिया गया था. लेकिन सीबीआई के अनुसार न बलात्कार हुआ था और न ही हत्या हुई थी. इन लड़कियों ने आत्महत्या की थी. परिवारवालों ने इसे खारिज कर दिया और दुबारा जांच की मांग की.
ये सिर्फ ऐसे 5 केसेस नहीं हैं जिनमे सीबीआई फेल हुई है, ऐसे केसेस की लाइन लगी है.
कई केस अभी चल रहे हैं जिसका भविष्य सरकार ही तय करेगी. ऐसे में दुबारा सोचने की जरूरत है की क्या बड़े घोटालो, हत्याकांड में जांच सीबीआई के हाथों सौप देने से क्या समस्या हल हो जायेगी.
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