हर बड़ी घटना के बाद सीबीआई जांच की मांग की बाढ़ सी आ जाती है.
पर क्या सीबीआई जांच ही एकमात्र समाधान है. हमेशा से सीबीआई को सरकारी कठपुतली के रूप में देखा जाता आया है. खुद सुप्रीम कोर्ट ने कोयला घोटाले पर सुनवाई के वक्त सीबीआई को “पिंजरे में बंद तोता” कहा था.
सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि सीबीआई स्वतंत्र संस्था होते हुए भी स्वतंत्र नहीं है. और ये बात किसी से छिपी भी नहीं है की सीबीआई का काम सरकार के अनुसार होता है. सरकारें बदलती है सीबीआई के काम का तरीका भी बदलता है.
अभी व्यापम घोटाले में सीबीआई जांच की मांग बढ़ गयी है. तो क्या सीबीआई के जांच शुरू करते है ये मामला सुलझ जाएगा?
खैर हम आपको ऐसे मामले दिखाते हैं जिसे सीबीआई सुलझाने में नाकाम रही.
1- बोफोर्स कांड-
सीबीआई ने दिल्ली चीफ मेट्रोपोलिटन कोर्ट में बोफोर्स केस को बंद किये जाने के लिए एप्लीकेशन दिया. जिसमे सीबीआई ने सीआरपीसी की धारा 321 के तहत विथड्रावल रिपोर्ट दर्ज की और कहा इतालियन बिजनेसमैन क्वात्रोकी को भारत लाने का और कोर्ट ट्रायल का हर प्रयास विफल रहा.