ह्यूमर

ये हैं वो पांच शरारती बच्चे जो पूरे देश के बच्चों को नहीं पढ़ने देते

दुनिया का हर व्यक्ति अपने बच्चे को लेकर टेंशन में रहते हैं कि वो पढ़ाई कर ले।

उनका बच्चा मेहनत से पढ़े। लेकिन टीवी की दुनिया के ये पांच बच्चे उन्हें पढ़ने नहीं देते। कार्टून चैनलों पर आने वाले कार्टून बच्चों में इतने लोकप्रिय है कि वो इसको देखे बिना तो खाना तक नहीं खाते।

आज हम कार्टून की दुनिया के काल्पनिक पात्र के बारे में बता रहे हैं जो किसी बच्चे को टीवी की दुनिया से बाहर नहीं निकलने देना चाहते।

कार्टून की दुनिया के काल्पनिक पात्र – 

1 – छोटा भीम-

कार्टून की दुनिया का छोटा भीम हर बच्चे के जबान पर रहता है। यह इतना प्रसिद्ध है कि हर बच्चे की जुबान से इसकी कहानी सुनने को मिल जाएगी। लंच बॉक्स, स्कूल बैग, बच्चों की टी-सर्ट जैसी बच्चों की इस्तेमाल होने वाली हर चीज पर इसकी फोटो आसानी से देखी जा सकती है। छोटे भीम के किरदार के रचयिता राजीव शुक्ला है।

2 – नोबिता-

बच्चों के बीच सबसे पसंद किए जाने वाला कार्टून डोरेमौन में नोबिता नामक पात्र के शरारती अंदाज को तो आपने भी अपने बच्चे के साथ देखा होगा। उसकी हरकते जितना हसांती है उससे भी ज्यादा उसकी आवाज गुदगुदाती है।

3 – शिजुका-

डोरेमौन कार्टून सीरीज का ही दूसरा महत्वपूर्ण पात्र शिजुका है।

4 – जियान-

जियान भी किसी से कम नहीं है। यह भी डोरेमौन कार्टून का हिस्सा है।

5 – डोरेमौन-

डोरेमौन कार्टून का मुख्य किरदार डोरेमौन मूल रुप से जापानी कार्टून है। डोरेमौन को हिंदी अनुवाद करके भारत में प्रसारित किया जाता है। आवाजों के भारतीय जादूगर अपनी आवाज की जादू से बच्चों को खुद से जोड़ते हैं।

कार्टून का बच्चों पर बहुत गहरा असर पड़ता है। समय समय पर इसपर पाबंदी के लिए आवाज उठते रहे हैं। इनमें एनिमेटेज पात्र बच्चों को इतना प्रभावित करते हैं कि वो पढ़ने लिखने से दूर हो जाते हैं। बच्चों के कोमन मस्तिष्क पर भी असर पड़ता है। 2013 में बंगलादेश ने डोरेमौन पर पाबंदी लगा दी गई थी। इसके साथ ही 50 से अधिक देशों में ऐसे कार्टून पर पाबंदी है। ये झूठे पात्र टीवी पर सारे दिन आते रहते हैं जिसे देखने के लिए बच्चे टीवी से चिपके रहते हैं।

ये है कार्टून की दुनिया के काल्पनिक पात्र – बच्चों के विशेषज्ञ मानते हैं कि कार्टून का बच्चों पर लम्बे समय तक असर रहता है जो बच्चों के मानसिक विकास के लिए घातक है। बच्चों की ऐसी स्थिती के लिए सिर्फ कार्टून चैनलों को ही दोष देना ठीक नहीं है। मां-बाप भी उतने ही जिम्मेदार है। समय की कमी और बच्चों के झंझट से बचने के लिए मां-बाप बच्चों को कार्टून चैनल की आदत लगा देते हैं।

Yasir Arfat

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