यूं तो डॉक्टर बनने की चाहत कई युवा रखते है कई अपने इस सपने को पूरा कर भी लेते है लेकिन ज्यादातर युवाओं का रुझान एमबीबएस करने की तरफ होता है क्योंकि इसमें आमदनी ज्यादा होती है साथ ही तत्काल चिकित्सा के लिए लोग एलौपैथी का सहारा लेना पसंद करते है क्योंकि ये तेजी के साथ काम करती है.
एलौपैथी के साथ आजकल आयुर्वेद में भी लोगों की दिलचस्पी बढ़ी है.
वजह है कि इन दवाओं के सेवन से कोई साईड ईफ़ेक्ट नहीं होता है जो कि आमतौर पर एलौपेथी चिकित्सा की सबसे बड़ी कमी मानी जाती है. साथ ही एलोपैथी चिकित्सा बहुत ही खर्चीली भी होती है. ऐसे में अब वो दिन गए जब युवा सिर्फ एलोपैथी में ही दिलचस्पी लेते थे. अब आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में भी उन्हे अपना भविष्य सुनहरा दिख रहा है.
आयुर्वेद चिकित्सा में महारथ हासिल करने के स्टूडेंट्स लिए आयुर्वेदिक कॉलेज में एडमिशन ले रहे है.
क्या है आयुर्वेदिक चिकित्सा में संभावनाएं- आयुर्वेदिक चिकित्सा की बात करें तो इस क्षेत्र में करियर की अपार संभावनाएं है.
कहां से करे कोर्स-
ये कोर्स 12 वीं क्लॉस के बाद किया जाता है. इसके लिए 12 वीं में बायलॉजी, क्रेमेस्ट्री और फीज़िक्स जैसे विषयों की पढ़ाई की होना अनिवार्य है. इस कोर्स की कुल अवधी साढ़े 5 साल होती है जिसमें एक साल की इंटर्नशिप शामिल होती है. देश के कई कॉलेज में आयुर्वेदिक चिकित्सा की पढ़ाई होती है जिनमें एन्ट्रेस एक्जाम के जरिए प्रवेश मिलता है. आज हम आपको बताएंगे देश के टॉप आयुर्वेदिक कॉलेज के बारे में
कितनी होती है कमाई-
अगर आप सरकारी अस्पताल में नौकरी पाते है तो आपकी सेलरी 10 से 15 शुरुआत में हो सकती है.
आप प्राईवेट प्रेक्टिस करके 10 हजार से लेकर लाखों रुपओं तक कमा सकते है. आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में नाड़ी परीक्षण का विशेष महत्व है. एक अच्छे वैद्य़ या आयुर्वेदिक डॉक्टर की यही खासियत होती है कि वो नाड़ी देखकर ही पता लगा देते ही रोग की जड़ क्या है.
दवा देते वक्त भी ये ध्यान रखना पड़ता है कि व्यक्ति की प्रकृति वात, पित्त, या फिर कफ वाली है.
एक सफल आयुर्वेदिक चिकित्सक बनने के लिए जरुरी है कि सिर्फ प्राचीन आयुर्वेदिक विधा से चिपके ना रहे.
मार्डन मेडिकल साईंस और मार्डन डायगनॉस्टिक टेस्ट के बारे में भी जानकारी रखे. आयुर्वेद का गौरव सिर्फ देश तक नहीं विदेशों तक फैल चुका है. कई देशों में आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली का अच्छा खासा स्कोप बढ़ा है.
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