आप जानते ही हैं की भारत में हर वर्ष कितनी सारी गैर-हिंदी फ़िल्में रिलीज़ होती है, जिसमे अंग्रेज़ी, तेलुगु, तमिल आदि शामिल हैं.
भारत में अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा का काफी बोलबाला है परन्तु तकलीफ यह है की अधिकतम लोग उसे अंग्रेजी में नहीं, बल्कि हिंदी में देखना पसंद करते हैं.
सोचो अगर कोई फिल्म है जिसमें आवाज़ न हो, प्रमुख अभिनेता अपनी प्रेमिका से प्यार का इज़हार कर रहा है परन्तु वहां आवाज़ नहीं आ रही है, जब अभिनेता खलनायक के ललकारने पर उसे गुस्से से जवाब दे रहा है पर उसकी आवाज़ न आये तो!
आवाज़ और बोल के बिना फ़िल्म, विज्ञापन और सभी माध्यम फ़िज़ूल हैं.
बहुत सारे ऐसे अभिनेता भी रहे हैं जिन्हें हिंदी बोलने में दिक्कत होती थी इसीलिए उनके लिए डबिंग कलाकार का प्रबंध किया जाता था.
हर बच्चे को एक कार्टून पसंद होगा. किसी को पोकीमोन तो किसी को छोटा भीम और बेन 10 अच्छा लगता है. हर बच्चा उनकी आवाज़ से अच्छी तरह से परिचित होता हैं. हर कार्टून पात्र के आवाज़ कि अपनी विशेषताए होती है, जिसके बिना कार्टून का मज़ा नहीं आता.
क्यों हिंदी डबिंग और वौइस्-ओवर आर्टिस्ट एक उभरता करियर विकल्प है.
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