हिन्दू धर्म में अपने इष्ट, अपने भगवान् की पूजा की जाती हैं पर इस पूजा के अंत में उन सभी भगवानों की आरती भी की जाती हैं.
उस आरती में कूम-कूम, फल-फूल, श्री फल, आदि चीज़ों के अलावा एक और महत्वपूर्ण सामग्री रखी जाती हैं जिसे ‘कपूर’ कहते हैं.
लेकिन आरती की थाली में कपूर रखने की वजह क्या हैं?
हम सब ने यह मन्त्र आरती पूरी होने के बाद सुना हैं लेकिन इस मन्त्र का अर्थ शायद ही जानते होंगे.
इस मन्त्र में कपूर से भगवान शंकर की तुलना की गयी हैं.
कर्पूरगौरम करुणावतारम संसारसारं भुजगेंद्रहारम।
सदावसंतम हृदयारविन्दे भवम भवानी सहितं नमामि।।
कपूर के समान चमकीले गौर वर्ण वाले, करुना के साक्षात् प्रतिरूप, इस पूरी दुनिया के सार, गले में भुजाओं की माला डालें भगवान शंकर जो माँ भवानी के साथ सभी भक्तों के ह्रदय में भी बसे हैं, उन महादेव की हम वंदना करते हैं.
आरती की थाली में कपूर रखने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण यह हैं कि कपूर जलाने के बाद उसमे से निकलने वाली सुगन्ध बीमारी फ़ैलाने वाले बैक्टीरिया को ख़त्म करती हैं. इससे वातावरण शुद्ध होता हैं और बीमारी फ़ैलाने वाले जीवाणु का डर खत्म होता हैं.
इस वैज्ञानिक कारण के अलावा कई अध्यात्मिक कारण ऐसे भी हैं जिसके लिए आरती की थाली में कपूर का इस्तेमाल किया जाता हैं. कहते हैं कि कपूर की सुगंध इतनी पवित्र मानी गयी हैं कि इससे घर पर होने वाले पितृ दोष और देव दोष दूर होते हैं.
हम सब ने देखा ही होगा कि घर में जब भी कोई पूजा या हवन होता हैं तो पूजा करने वाले पंडित अक्सर ये बात कहते हैं कि आरती की थाली में कपूर जलाने के बाद इस पुरे घर में घुमा दीजियें. इस तरह से आरती की थाली घुमाने की यही दो वजह वैज्ञानिक और अध्यात्मिक हैं. लोग भले ही इन वजहों से परिचित न हो पर आस्था के कारण हम सभी अपनी पूजा में कपूर का इस्तेमाल अवश्य करते हैं.
इन सभी बातों के अलावा ऐसी कई मान्यताएं भी हैं कि यदि आप को रात में अच्छे से नींद नहीं आती हैं तो कपूर के इस्तेमाल से अनिद्रा की इस बीमारी से राहत मिलती हैं. इसी तरह से कपूर को लेकर एक मान्यता यह भी की कपूर के सुबह-शाम उपयोग में लाने से आकस्मिक होने वाली दुर्घटना से बचा जा सकता हैं.
कपूर के इस्तेमाल को लेकर हिन्दू धर्म के अनुसार जो भी अध्यात्मिक मान्यताएं वो अपनी जगह सही हैं पर अगर वैज्ञानिक मान्यताओं पर नज़र दौडाएं तो कपूर का इस्तेमाल सभी घर में किया जा सकता हैं.