कैबीनेट मिनिस्टर स्मृति ईरानी… बोलने के लिए तो ये कैबिनेट मिनिस्टर हैं। लेकिन जिस तरह से इनके मंत्रालय में बदलाव किया जाता है
उसके कारण सायद ही इन्हें कोई गंभीरता से लेता होगा, क्योंकि इनके अजीबो गरीब बयान और काम इनके गैर गंभीर होने के तो सूचक हैं ही …
ऐसे में इनके मंत्रालय में हमेशा अचानक होने वाला बदलाव भी बता देता है कि इन्हें इनकी पार्टी भी गंभीरता से नहीं लेती है।
हाल ही में कैबिनेट मंत्रालय में 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कई सारे बदलाव हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई सारे केंद्रीय मंत्रिमंडल में अचानक बदलाव किए हैं। किडनी ट्रांसप्लाट और ऑपरेशन के चलते केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली की जगह पीयूष गोयल वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभालेंगे। लेकिन सुर्खियों में केवल सूचना मंत्रालय में किए गए बदलाव रहे। क्योंकि बीमारी के कारण जेटली से मंत्रालय लिया जाना स्वाभाविक माना जा रहा है, लेकिन बड़ी और दिलचस्प खबर तो स्मृति ईरानी से सूचना प्रसारण मंत्रालय वापस लेना बड़ा फैसला माना जा रहा है।
पहले छीना गया एचआरडी मंत्रालय
इससे पहले स्मृति ईरानी से एचआरडी मंत्रालय छीना गया था। सूचना प्रसारण मंत्रालय में ही राज्यमंत्री के रूप में काम देख रहे राज्यवर्धन सिंह राठौर ही अब पूरी तरह से सूचना प्रसारण मंत्रालय का कामकाज संभालेंगे। अब स्मृति केवल कपड़ा मंत्रालय संभालेंगी।
मंत्रालय लेना बच्चों का खेल
मंत्रालय में इस तरह के फेरबदल से कैबीनेट मिनिस्टर स्मृति ईरानी का काफी मजाक बन रहा है। लोग यह मजाक बना रहे हैं कि स्मृति से मंत्रालय लेना बच्चों का खेल है और उनकी पार्टी ही उन्हें गंभीरता से नहीं लेती है। जिसके कारण जब उन्हें कोई मंत्रालय दिया जाता है तो वे खबरों में होती हैं और जब उन्हें कोई मंत्रालय लिया जाता है तो भी वे खबरों में रहती हैं। कर्नाटक चुनाव के बीतने के दो दिन बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबीनेट मंत्रालय में बदलाव किया है। इस बदलाव के दौरान स्मृति ईरानी से सूचना और प्रसारण मंत्रालय छीन लिया गया है।
क्यों छीना गया मंत्रायल
स्मृति से मंत्रालय लेने की कई वजहें सामने आ रही हैं। हाल ही में स्मृति ने ऐसे कई सारे फैसले लिए थे जिनसे प्रधानमंत्री मोदी नाराज हो गए थे। जैसे की उन्होंने प्रसार भारती के अध्यक्ष से कुछ नियुक्तियों को लेकर कुछ विवाद खड़े कर दिए थे तो वहीं इसके साथ ही सूचना और प्रसारण मंत्री ने इस स्वायत्तशासी संस्था के फंड पर रोक लगा दी थी। इसके अलावा उन्होंने वेबसाइटों को लेकर कुछ नियमावली बनाने की भी कोशिश की थी जिसके कारण वे विवादों में रहीं थीं। इन्हीं विवादों के कारण उन्हें इस अहम मंत्रालय से हटाया गया।
फेक न्यूज
इन सबके अलावा बतौर सूचना मंत्री स्मृति ईरानी ने पत्रकारों के फेक न्यूज (झूठी खबरों) के फैलाने पर लगाम लगाने के लिए सजा का प्रावधान करने के मामले में भी उनकी कड़ी आलोचना हुई थी। जिसके कारण इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हस्तक्षेप करना पड़ा था और फिर उनकी तरफ से इस फैसले को वापस लेने संबंधी सूचना आई थी।
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों को भी लेकर हुआ विवाद
इसके अलावा नया विवाद राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह को लेकर था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए केवल एक घंटा देने का नियम बनाया है लेकिन ईरानी ने इस दौरान 130 पुरस्कारों में से केवल 11 राष्ट्रपति के हाथों दिलाने और शेष खुद देने का फैसला किया। जिसके कारण पुरस्कार प्राप्त करने वाले 60 गणमान्य हस्तियों ने पुरस्कार लेने से ही इनकार कर दिया था। जिसके कारण राष्ट्रपति भवन से सूचना जारी कर इस पर नाराजगी जताई गई।
जेएनयू-महिषासुर-दुर्गा विवाद
इन सबके अलावा उनके साथ जेएनयू का भी एक विवाद जुड़ा है। दरअसल उन्होंने बतौर सूचना मंत्री जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में महिषासुर दिवस मनाए जाने और दुर्गा को लेकर संसद में एक पर्चा पढ़ा था, जिस पर विवाद हो गया था। तब स्मृति ने कथित तौर पर कहा था कि दलित और पिछड़े वर्ग के छात्र मां दुर्गा का अश्लील चित्रण करते हैं। इस पर कई दिनों तक उनके खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन हुआ था। उसी समय से उन के साथ एक के बाद, कई सारे विवाद जुड़ते गए और अब उनसे मंत्रायल छीन लिया गया।
इन सब विवादों के कारण सूचना प्रसारण मंत्री रहते कैबीनेट मिनिस्टर स्मृति ईरानी की तो काफी किरकिरी हुई ही थी इससे बीजेपी सराकर की भी काफी किरकिरी हुई थी जिसके कारण प्रधानमंत्री मोदी उनसे नाराज हो गए और उन्होंने मंत्रालय में फेरबदल किया। अब देखना यह है कि यह कपड़ा मंत्रालय उनके पास कब तक रहता है। वैसे यह मंत्रालय उतना जरूरी नहीं है तो उम्मीद है कि यह मंत्रालय उनके पास सरकार रहने तक रहेगा ही। आगे प्रधानमंत्री जी की मर्जी !!
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