जीवन शैली

क्या आप जिंदगी जी रहे है या सिर्फ वक्त काट रहे है ?

जिंदगी…. है तो सबकुछ है और जिंदगी नहीं तो कुछ भी नहीं.

लेकिन कभी सोचा है आखिर ये जिंदगी है क्या?

अब कहने वाले कहेंगे जिंदगी इस धरती पर हमें जो वक्त मिला है वो है.

वैसे कायदे से तो ये बात बिलकुल ठीक है लेकिन भाई ये जो वक्त मिला है वही तो सबकुछ है ना? या फिर यहाँ पर वक्त काटने के बाद किसी और दुनिया में जिंदगी जीने का इरादा है.

अब मरने के बाद स्वर्ग मिलता है या नरक ये तो कोई बता नहीं सकता क्योंकि आजतक मरने के बाद किसी ने वापस आकर ये नहीं बताया है कि स्वर्ग कैसा होता है या नरक कैसा होता है.

हाँ जन्नत और जन्नत की हूरों के चक्कर में बेचारे कुछ भटके हुए लोगों को आतंकवादी मौत के मुंह में ज़रूर पहुंचा देते है.

अरे हम भी क्या अब मरने और मारने की बात करने लगे बाततो हो रही है जिन्दगी की और जिंदगी तो जिंदादिली का नाम है.

क्या लेके आये थे और क्या लेकर जायेंगे? जब तक जिंदा हो तब तक खुश रहो,खुशियाँ बांटों और जब मर गए तो फिर फिकर कैसी सब कुछ मिटटी ही तो रह जायेगा.

अब आते है मुद्दे की बात पर…. सवाल ये था कि आप जिंदगी जी रहे हो या फिर जिंदगी बस काट रहे हो.

चलो कुछ सवाल करते है उसके बाद तय करते है कि आप जी रहे है या बस मौत आने का इंतज़ार कर रहे है?

बचपन के कितने सपने आपने अब तक पूरे किये है? 

इस सवाल का सीधा सा मतलब है कि बचपन में हर इंसान बहुत से छोटे बड़े सपने देखता है लेकिन उम्र बढ़ने के साथ ही वो छोटे छोटे सपनों को भूलते हुए दुनिया की भाग दौड़ वाली रेस में लग जाते है. लेकिन जब ये भागदौड़ वाली जिंदगी बोझ बनने लग जाए तो इस बोझ को हल्का करने का सबसे आसान तरीका है बचपन के सपने पूरे करना या फिर कुछ लम्हों के लिए बच्चे बन जाना.

करना क्या है वही जो बचपन में करते थे कहीं चाट खा ली या अपनी पसंदीदा चोकोलेट की बड़ी वाली बार लोगों को दिखा दिखा कर खा लेना, बारिश में भीगा जाना, थोडा नाच लेना,हंस लेना.

ये सब बातें तो छोटी छोटी है लेकिन ये अहसास दिलाती है कि जिंदगी कितनी खुबसुरत है.

दौड़ भाग भरी जिंदगी में वक्त के बड़े बड़े नोट खर्च करने को ना मिले कोई बात नहीं अपने वक्त के छोटे छोटे सिक्के ही अपनों पर खर्च करके देखो कितना सुकून मिलता है.

जिन माँ बाप से दूर रह रहे हो उनसे मिलने चले जाओ या पुराने दोस्तों से कहो कि चलो कॉलेज की तरह एक बार फिर से किसी ट्रिप पर चलते है. कुछ पलों के लिए कल की फ़िक्र छोड़ दो.

जिंदगी काटने का तरीका एक ही है कि जो जैसे चल रहा है चलने दो और जिंदगी जीने के तरीके हजारों है.

दिल किया अच्छी फिल्म देख ली, कोई साथ मिला तो ठीक ना मिला तो भी ठीक. थक गए तो समन्दर किनारे बैठ एक बियर पी ली और अपना पसंदीदा गीत गुनगुना लिया.

सडक पर चलते हुए किसी की मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुरा कर दे दिया. किसी बच्चे के साथ कुछ देर बच्चे बनकर खेल लिए. जो आपके करीब है उन्हें गले लगा लिया.

कहने को तो ये सब बहुत छोटी छोटी बाते है लेकिन यही बातें है जो हमने मशीनी जिन्दगी से निजात दिलाकर फिर से इंसान बनाती है.

कम तक ऐसे ही जीते जी मरे रहोगे दूसरों को जीते देख खुश होने से जिन्दगी नहीं जी जाती.

जिंदगी जीनी है तो लगाओ एक छलांग और मुट्ठी में कैद कर लो वो पल जो जब भी याद आये चेहरे पर मुस्कान ले आयें. ऐसे कुढ़ कुढ़ कर कब तक मरते रहोगे.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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Yogesh Pareek

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