बुधादित्य योग जन्म कुंडली में सूर्य एवं बुध की युति से होता हैं।
जन्म कुंडली के किसी भी स्थान में सूर्य बुध के साथ युक्त हो तो बुधादित्य योग बनता हैं।
इस योग वाला जातक अतिबुद्धिमान एवं चतुर होता हैं। वह हर समस्या का हल दिमाग से करता हैं। वह बोलने में भी वाचाल एवं निपूण होता हैं। अधिकतर ऐसा देखा गया है, कि ऐसे योग वाले जातक बुद्धि वाणी के क्षेत्र में अत्यधिक सफल होते है।
सामान्यतय: यह देखा जाता है, की सूर्य के साथ कोई भी ग्रह हो तो उसका प्रभाव कम या अस्त के समान हो जाता है। लेकीन बुध सूर्य के साथ न तो क्षीण होता है न अस्त बल्कि और प्रभावशाली हो जाता है। बुध यदि दस डीग्री अंश से कम हो तो निर्बल हो सकता हैं, किंतु तब भी वह अपना कुछ प्रभाव तो बनाता ही हैं। यह अति दुर्लभ योग नही है, कई कुंड़लियों में यह पाया जाता है फिर भी इसको सामान्य नही समझना चाहिए।
बुध सूर्य के सबसे निकट का ग्रह है। इसलिए वह कुंडली में सूर्य के आसपास ही होता है। मेष, कन्या, सिंह, मिथुन में यदि बुधादित्य योग बनता है, तो जातक बुद्धिमान होने के साथ अपने दिमाग का उपयोग सही कार्यो के लिए करता है।
कुंभ, तुला में बुधादित्य योग बनने पर जातक की बुद्धि का उपयोग विध्वंसकारी कार्यो में हो सकता है।
मीन में राशि का बुधादित्य योग बनने वाली कुंड़लीयों में जातक बुद्धिमान होने के बावजूद अपनी गलतीयों को सुधारता नही है।
बुधादित्य योग वाले जातक अधिकतम, अभिभाषक, शिक्षक, अधिकारी, वक्ता, कथाकार, लेखक बनते है। पत्रकार भी बन सकते है। बुधादित्य योग वाले जातक वाकपटु होते है।