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बुद्ध पूर्णिमा : भगवान बुद्ध – भगवान विष्णु के 9 वे अवतार थे!

पौराणिक कथाओं के अनुसार बुद्ध विष्णु भगवान के 9 वें अवतार थे.

ऐसा पढ़ा गया है कि जब-जब इस संसार में पाप बढेगा, तब-तब भगवान विष्णु एक नया अवतार धारण कर धरती पर आयेंगे.

अपने 9 वें अवतार में – विष्णु ने सिद्धार्थ उर्फ़ गौतम बुद्ध के रूप में धरती पर जन्म लिया.

दरअसल, प्राचीनकाल में दैत्य शक्तिशाली हो गए थे. उन्होंने स्वर्ग पर कब्जा कर लिया था और अपने राज्य को स्थायी करने के लिए वे वैदिक आचरण एवं यज्ञ करने लगे. इससे दैत्य ओर ताकतवर होने लगे. जैसे-जैसे उनका बल बढ़ रहा था, वैसे-वैसे उनका दुराचरण बढऩे लगा. सभी देवता परेशान हो गए. वे भगवान विष्णु के पास पहुंचे. तब कालांतर में विष्णु भगवान बुद्ध के रूप में प्रकट हुए.

बुद्धदेव ने दैत्यों को उपदेश दिया कि यज्ञ करने से जीव हिंसा होती है. अत: यज्ञ पापकर्म है. बुद्ध की इन बातों से दैत्य प्रभावित हुए और उन्होंने यज्ञ तथा वैदिक आचरण छोड़ दिया. परिणाम यह हुआ कि दैत्यों की ताकत कम हो गई और अवसर मिलते ही देवताओं ने उन पर आक्रमण कर स्वर्ग पर पुन: अधिकार प्राप्त किया.                                    

बुद्ध पूर्णिमा को सत्य विनाशक पूर्णिमा भी कहा जाता है

सत्य विनायक पूर्णिमा यह ‘सत्य विनायक पूर्णिमा’ भी मानी जाती है. भगवान श्रीकृष्ण के बचपन के दरिद्र मित्र ब्राह्मण सुदामा जब द्वारिका उनके पास मिलने पहुंचे तो श्रीकृष्ण ने उनको सत्यविनायक व्रत का विधान बताया. इसी व्रत के प्रभाव से सुदामा की सारी दरिद्रता जाती रही तथा वह सर्वसुख सम्पन्न और ऐश्वर्यशाली हो गए.  इस दिन धर्मराज की पूजा करने का विधान है.  इस व्रत से धर्मराज की प्रसन्नता प्राप्त होती है और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता. वैशाख की पूर्णिमा के दीन भगवान बुद्ध के रूप में विष्णु जी ने अवतार लिया था और इसी दिन भगवान बुद्ध का निर्वाण हुआ था. उनके अनुयायी इस दिवस को बहुत धूमधाम से मनाते हैं.

बुद्ध पूर्णिमा में धर्म नदियों के स्नान का अपना महत्व है

बुद्ध पूर्णिमा में धर्म नदियों के स्नान का अपना अलग ही महत्व है. कहते है कि हर महीने प्रत्येक माह की पूर्णिमा श्रीहरि विष्णु भगवान को समर्पित होती है. शास्त्रों में पूर्णिमा को तीर्थ स्थलों में गंगा स्नान का विशेष महत्व बताया गया है.

बुद्ध पूर्णिमा का बैसाख में आना महत्वपूर्ण है

वैशाख पूर्णिमा का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि इस पूर्णिमा को सूर्य देव अपनी उच्च राशि मेष में होते हैं और चंद्रमा भी उच्च राशि तुला में होते है. शास्त्रों में तो पूरे वैशाख माह में ही गंगा स्नान का महत्व बताया गया है.  शास्त्रों में यह भी वर्णित है कि पूर्णिमा का स्नान करने से पूरे वैशाख माह के स्नान के बराबर पुण्य मिलता है. बुद्ध पूर्णिमा के दिन किया गया स्नान मनुष्य के कई जन्मों के अधर्मी कार्यों को समाप्त कर सकता है, ऐसी मान्यता रही है चलती आ रही है.

बैसाख महीने के अभी भी कुछ दीन बचे है. आप चाहे तो जाकर गंगा स्नान कर सकते है और पौराणिक संस्कृती के अनुसार खुद को धन्य कर सकते है…

Dharam Dubey

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