उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती ने ऐसा क्या कहा कि दलित भड़क गए और उन्होंने राजपूतों के घरों पर हमला कर दिया.
इस सवाल का जवाब जानने के लिए सहारनपुर में हर कोई परेशान है.
हालांकि मायावती ने वहां लोगों से क्या कहा इसका अभी तक पता नहीं चल सका है लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि मायावती के पहुंचने के बाद ही सहारनपुर के शब्बीरपुरा गांव का माहौल एक बार फिर गर्मा गया.
देखते ही देखते वहां आग की लपटे और धुंआ उठने लगा है.
गौरतलब है कि 23 मई को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले का शब्बीरपुर गांव में मायावती के पहुँचने के बाद बड़गांव थाना क्षेत्र जातीय हिंसा की चपेट में आ गया. और देखते ही देखते इलाका फिर से जातीय हिंसा की लपटों से धधक उठा.
बताया जता है कि जैसे ही बसपा प्रमुख मायावती अपना कार्यक्रम समाप्त करके शब्बीरपुर गांव से निकली कुछ उपद्रवी युवाओं ने ठाकुरों के घरों व गलियों में पथराव कर दिया और उनके घरों में आग लगा दी. महिलाओं से भी बदसलूकी का प्रयास किया गया.
इसके बाद जैसे ही ये खबर दूसरे पक्ष को मिली तो उसने भी प्रतिशोध में दलितों के घरों पर तलवार आदि से हमले किये. मामला इस हद तक बड़ गया कि एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
इन सब के बीच जिस बात को लेकर सबसे अधिक चर्चा है वह यह कि आखिर क्या वजह थी कि जो बसपा प्रमुख मायावती के जाने के बाद मामला दोबारा भड़का. बसपा की सभा में ऐसा क्या हुआ कि जो मायावती के जाने के बाद दलितों ने राजपूतों के घरों पर हमला कर दिया.
जानकारी के अनुसार इन घटनाओं को अंजाम देने में नकाबपोश युवकों की भूमिका सामने आ रही है. पुलिस के अनुसार, सूचना पर डीएम व एसएसपी शब्बीरपुर गांव में मौके पर पहुंचकर पीडितों से बात कर ही रहे थे कि तभी राजपूतों के पांच घरों में आगजनी की सूचना आ गई.
बताया जाता है कि शब्बीरपुर गांव में बसपा प्रमुख मायावती के आने से जोश में आए भीम आर्मी से जुड़े दलित युवकों ने ठाकुरों के पांच घरों पर पथराव कर बिटोरों में आग लगा दी. गलियों में भी जमकर पथराव किया.
हालांकि, दमकल ने तुरंत इस पर काबू पा लिया. लेकिन आगजनी में भीम आर्मी के लोगों का नाम सामने आने के बाद हालात बेकाबू हो गए. उनकी इस अराजकता ने आग में घी डालने का काम किया.
भीम आर्मी के कृत्य के विरोध मायावती के रवाना होने के बाद सभा से लौट रहे बसपाइयों को निशाना बनाया. शब्बीरपुर के पास के गांव चंदपुरा में नकाबपोश युवकों ने गांव सुवाहेड़ी लौट रही बसपा का झंडा लगी बुलेरो कार को रोककर उसमें सवार लोगों को तलवार से लहूलुहान कर दिया. देखते ही देखते कई स्थानों पर हमलों की खबरें आने लगी.
इस दौरान अफवाहों ने खूब जोर पकड़ा और आसपास के कई गांव में दलित व ठाकुर आमने-सामने आ गए.
गौरतलब है कि महाराणा प्रताप जयंती समारोह को लेकर गत पांच मई को गांव शब्बीरपुर में दलित व राजपूतों के बीच संघर्ष हुआ था.
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