सन 1857 में जब भारत के ऊपर अंग्रेजों ने दूसरी बार जीत दर्ज कर ली थी.
तो इसके बाद इनका मनोबल सांतवे आसमान पर पहुँच गया था. अंग्रेज 57 की जीत को भारत पर दूसरी बड़ी जीत मानते थे. पहली बार भारत पर व्यापार के नाम पर कब्जा किया गया था और दूसरी बार भारत से युद्ध करके भारत को जीता गया था.
1857 की विजय को याद करते हुए दिसंबर 1868 को तत्कालीन प्रधानमंत्री ड्यूक ऑफ आरगाइल को लिखे पत्र में मैक्समूलर अपनी इच्छा और इरादे का जिक्र करते हैं. इस पत्र को आप डा के.वी पालीवाल की पुस्तक- मैक्समूलर द्वारा वेदों का विकृतीकरण-क्या क्यों और कैसे में पढ़ सकते हैं. यहाँ मैक्समूलर साफ़-साफ़ शब्दों में इसाई धर्म के प्रोपेगेंडा को जाहिर करते हैं.
आइये पढ़ते हैं कि मैक्समूलर ने इसाई धर्म के बारे में अपने इस पत्र में क्या लिखा था-
अंग्रेजों का था प्लान –
मैक्समूलर लिखता है कि- भारत को एक बार जीता जा चुका है. लेकिन भारत को इस बार दुबारा जीता जाना चाहिए और यह दूसरी जीत इसाई धर्म की शिक्षा के द्वारा होनी चाहिए. भारत की ईसाइयत शायद हमारी उन्नीसवीं सदी जैसी ईसाइयत भले ही ना हो लेकिन भारत का प्राचीन धर्म यहाँ डूब चुका है और फिर यदि यहाँ ईसाइयत नहीं फैलती है तो इसमें किसका दोष होगा?
तो इस पत्र से साफ़ हो जाता है कि मैक्समूलर साफ़ शब्दों में बोलना चाह रहा है कि भारत में आप इसाई धर्म का प्रचार करो और यहाँ के लोगों को ईसाई बनाओ ताकि भारत को फिर से जीत लिया जाए. इसाई धर्म अगर भारत में फैलता है तो इसका सीधा फायदा इन्हीं लोगों को पहुंचना था. हिन्दू लोगों को अगर इसाई बना दिया जाये तो वह फिर हमारे भाई हो जायेंगे और तब यह लोग अंग्रेजों का विरोध नहीं करेंगे. कुछ ऐसा ही प्लान मैक्समूलर ने बनाकर भेजा था.
इसाई धर्म की गिरफ्त में है भारत –
आज भारत अंग्रेजी और इसाई धर्म की गिरफ्त में है. हमारे बच्चे हिंदी को खराब सोचने लगे हैं और अंग्रेजी की इज्जत करते हैं. पश्चिम की हर चीज आज की पीढ़ी को अच्छी लगती है. पश्चिम की नग्नता आज सरेआम खूब पसंद की जा रही है. इसी बात से साबित होता है कि अंग्रेजों ने भारत के संस्कार और संस्कृति को खत्म करने के लिए ईसाइयत का जाल बुना था. आज भारत इसी जाल में फंसता भी जा रहा है. इसाई धर्म जिस तेजी से हिन्दुओं को ईसाई बना रहा है उससे साफ लगने लगा है कि जल्द ही भारत फिर से अंग्रेजों की गुलामी करने लगेगा. वैसे भी आज से सालों पहले मैक्समूलर ने अपना प्लान तो जग-जाहिर कर ही दिया था. भारत को गुलाम बनाने है लिये आज ईसाइयत पूरा जोर लगा रही है.
अपना धर्म और अपनी संस्कृति बचाओ –
किसी भी देश को अगर गुलाम बनाना हो तो उसकी संस्कृति और उसके धर्म को ख़त्म कर दो. वह देश अपने आप ही खत्म हो जायेगा. कुछ ऐसा ही अंग्रेज बोलते थे. आज अगर भारत को बचाना है तो हमें अपनी नई पीढ़ी को अपने संस्कार और रीति-रिवाजों का पालन कराना सिखाना होगा. हमें अपने धर्म को अब नये सिरे से अपने बच्चों को पढ़ाना होगा. यदि हमारी नई पीढ़ी सत्य से वाकिफ होगी तभी जाकर देश को बचाया जा सकता है.
इस प्रकार मैक्समूलर के इस पत्र से यह बात मालुम हो जाती है कि किस प्रकार से ईसाई धर्म को आधार बनाकर अंग्रेज दूसरे देशों पर कब्जा करते हैं. आज से सालों पहले ही अंग्रेज अपनी इस चाल का खुलासा भारत में कर चुके हैं.
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