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आजाद भारत देश में आज भी लागू हैं अंग्रेजो के ये कानून।

अंग्रेजी नियम कानून – आपको बता दें कि अंग्रेजों के जमाने के ऐसे बहुत से कानून है जो आज भी जीवित है। कानून बनाना संसद का काम है, संसद को ही तय करना होता है कि कौन सा कानून सही है या नहीं।

अभी कुछ ही समय पहले पुराने कानूनों के संवंध में संसद में मोदी सरकार द्वारा निरसन तथा संसोधन विधेयक २०१७ पेश किया जा चूका है, जिसकी मंजूरी भी मिल चुकी है। इस विधेयक में 104 पुराने कानूनों को ख़त्म करने का प्रस्ताव रखा गया है। और इसी विधेयक के दुसरे भाग में  उन पुराने 131 कानूनों को ख़त्म करने का लक्ष्य रखा गया है, जो आज के जमाने में अप्रासंगिक है।

आपको बता दें कि 2014 में अपनी सरकार बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने रोज एक काले कानून को ख़त्म करने की बात कही थी। अब तक मोदी सरकार लगभग 1200 अप्रचलित और पुराने कानूनों को ख़त्म कर चुकी है जो अंग्रेजों ने अपने स्वार्थ के लिए बनाये थे।

इनमें से कुछ अंग्रेजी नियम कानून इस प्रकार थे – सरकारी मुद्रा अधिनियम १८६२, पश्चिमोत्तर प्रान्त ग्राम और पुलिस सड़क अधिनियम १८७३, नाट्य प्रदर्शन अधिनियम १८७६ , राजद्रोहात्मक सभाओं का निवारण अधिनियम १९११, बंगाल आतंकवादी हिंसा दमन अनुपूरक अधिनियम१९३२ शामिल हैं।

विधयक के उद्देश्य और उसके कारण में कहा गया है कि यह विधेयक इसलिए लाया गया है क्योंकि पुराने हो चुके अप्रचलित अधिनियमों को ख़त्म करना आवश्यक हो गया था। इसके माध्यम से पुलिस अधिनियम १८८८, फोर्ट बिलियम अधिनियम १८८१, हावड़ा अधिनियम १८५७, साप्ताहिक अवकाश दिन अधिनियम १९४२, युद्ध क्षति प्रतिकार बीमा अधिनियम १९४३ जैसे अंग्रेजों के पुराने कानूनों को समाप्त करने का प्रस्ताव रखा गया है।

इसके अलावा कुछ और ऐसे कानून है, जो आज भी जिन्दा है इनमें से कुछ अजब कानून इस प्रकार है-

1860 दंडसंहिता के तहत आत्महत्या को अपराध माना जाता था, अगर ख़ुदकुशी करते हुए आप गलती से बच गए तो इसके बाद सारी जिंदगी जेल में काटनी पड़ती थी।

इसके अलावा दूसरा नियम था जिसमें पतंग उड़ाना गैर कानूनी था।इंडियन एयरक्राफ्ट एक्ट 1931 के मुताबिक गुब्बारे की तरह पतंग भी एक बिमान ही है।

तीसरा अजब नियम टिड्डों को लेकर था जिसमें अगर दिल्ली में टिड्डों का हमला हो जाए तो दिल्ली वासी सड़कों पर ड्रम बजाने के लिए तैयार रहे अगर कोई व्यक्ति मना करता है तो उसे 50 रूपए का जुर्माना या जेल हो सकती है।

ब्रिटिश शासन के एक कानून के मुताबिक आप बिना झिझक किसी भी होटल में पानी पीने और शोचालय उपयोग के लिए जा सकते हैं वो भी मुफ्त।

इंडियन पोस्ट ऑफिस एक्ट 1898 के अनुसार तकनिकी तौर पर प्राइवेट कुरियर व्यवस्था रखना अपराध है, सिर्फ सरकार को ही चिट्ठियों के वितरण का अधिकार है।

इसके अलावा जेल में खादी की टोपी पहनना भी अपराध है। इस नियम का विरोध गोपाल कृष्णा गोखले द्वारा किया गया।

तो ये थे अंग्रेजी नियम कानून । लेकिन आपको बता दें कि मोदी सरकार से पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी इन बेकार के कानूनों को ख़त्म करने के लिए कदम उठा चुकी है।अभी हाल ही में भारत के कानून मंत्री का कहना था कि स्वच्छता अभियान सिर्फ जमीन के लिए नहीं बल्कि राजनीती के लिए भी है। अब जरूरत है कि इन पुराने नियम कानून को उखाड़ फेंके और देश के लिए वही कानून लाये जिनकी जिनकी जरूरत देश को है।

Kuldeep Dwivedi

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