ENG | HINDI

गांधी जी को मारने के लिए अंग्रेजों ने दिया एक बार इनको जहर! पढ़िए कैसे बच गये महात्मा गांधी !

गांधी जी के खाने में जहर

अंग्रेजों के लिए एक कहावत मशहूर है कि अंग्रेज कभी किसी के नहीं हुए हैं.

अपने फायदे के लिए यह लोग कुछ भी काम कर सकते हैं. युद्ध में कामयाबी के लिए अंग्रेज किसी भी चाल को चल सकते हैं. इसलिए बोला जाता है कि इंग्लिश लोगों पर जल्दी विश्वास नहीं करना चाहिए.

अब देखिये ना, एक व्यक्ति जो सारी उम्र अहिंसा का पाठ लोगों को पढ़ाता रहा है क्या उससे भी किसी को कोई बड़ा नुकसान महसूस हो सकता है?

लेकिन सच यह है कि हाँ, अहिंसा की राह पर चलने वाले को भी अंग्रेज मरवाने का जाल बुन सकते हैं.

तो ऐसा ही कुछ एक बार महात्मा गांधी के साथ किया गया था. अब गांधी जी की किस्मत अच्छी थी या बोलें देश की किस्मत अच्छी थी कि महात्मा गांधी अंग्रेजों की चाल से बच जाते हैं. असल में एक बार अंग्रेजों ने गांधी को जहर देकर मारने की कोशिश की थी.

आज हम आपको इस पूरी कहानी से वाकिफ कराना चाहते हैं.

तो आइये पढ़ते हैं क्या हुआ जब गांधी जी के खाने में जहर डाला गया था-

गांधी जी के खाने में जहर

यह बात है सन 1917 की –

यह बात सन 1917 की है जब महात्मा गांधी अपना पहला भारतीय आन्दोलन शुरू करने बिहार के चंपारण गये थे. आपको ज्ञात होना चाहिए कि एक बार महात्मा गाँधी अंग्रेजों द्वारा करवाई जा रही, नील की खेती का विरोध करने बिहार गये थे. भारत में यहाँ पर अंग्रेज जबरदस्ती किसानों से नील की खेती करा रहा थे. इसका सीधा-सा अर्थ था कि किसान से कम कीमत पर नील की खेती कराना और अधिक दाम पर यहाँ से माल ले जाकर, अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में बेच देना. इससे अंग्रेजों को मोटा मुनाफा हो रहा था.

जब गांधी जी पर यह समस्या पहुंचाई गयी तो इनको भी समस्या जायज लगी और किसानों का शोषण इनको रास नहीं आया. तब महात्मा गांधी जी बिहार के चंपारण में अप्रैल माह के अन्दर अपना पहला भारतीय आन्दोलन करने पहुच गये थे.

अंग्रेज गांधी जी को समझ गये थे –

वैसे अंग्रेज भी इस बात से भली-भांति वाकिफ थे. अंग्रेज जानते थे कि यह वही इन्सान है जो दक्षिण अफ्रीका में अहिंसा के दम पर चमत्कार करके आया है. इसलिए जैसे ही गांधी जी चंपारण पहुचे, अंग्रेजों ने इनको वापस जाने के आदेश सुना दिए थे. किन्तु गांधी जी ने यह हुकुम मानने से इनकार कर दिया.

तब महात्मा गांधी को किया गया था गिरफ्तार –

जब महात्मा गांधी ने उस समय के मजिस्ट्रेट के फैसले को मानने से इनकार कर दिया था तो अंग्रेजों के बड़े अफसरों ने नीचे सीधे आदेश दिया कि आप जाओ और गांधी को गिरफ्तार कर लो. उस समय जब चंपारण में गांधी थे. लोगों का हुजूम इस आन्दोलन से जुड़ता चला जा रहा था. लोग एक तरह से अंग्रेजों से बगावत के मूड में आ चुके थे. सच तो यह है कि अगर गांधी जी अहिंसक ना होते तो यह भीड़ कुछ भी कर सकती थी.

जब जेल में गांधी जी के खाने में जहर दिया गया –

जब महात्मा गांधी जेल में थे तो अंग्रेजों ने चाल चली थी कि आज रात गांधी जी के खाने में जहर या गांधी के दूध में जहर मिलाकर इनको पिला दिया जाए. ताकि हमेशा के लिए यह समस्या अंग्रेजों के सामने से खत्म हो जाये. सब कुछ तय प्लान के अनुसार ही चल रहा था कि अचानक रसोइये बत्तख मियाँ ने यह सारा का सारा षडयंत्र गांधी जी को बता दिया जाता है.

इसके साथ ही ईश्वर की कृपा से महात्मा गांधी की जान बच जाती है.

कुल मिलाकर एक यही सच इस कहानी से जान पड़ता है कि अंग्रेज कभी किसी के नहीं हुए थे. अपने फायदे के लिए अंग्रेजी लोग सिर्फ और सिर्फ लोगों का इस्तेमाल करना ही जानते हैं.