आपको अगर ऐसा लगता है कि अंग्रेज बहुत भारी संख्या में धन लेकर भारत आए थे और उन्होंने अपना धन भारत के विकास पर खर्च किया था तो आप एक दम गलत हैं.
अंग्रेजों ने बस भारत को लूटा ही था. देश का धन बाहर लेकर जाया जा रहा था.
अब जो लोग यह सोचते हैं कि अंग्रेज काफी धनी थे.
तो आइये आज हम आपको अंग्रेजों की असली औकात और तेज दिमाग की एक झलक दिखाते हैं. अंग्रेजों ने राजाओं से लिए करोड़ों रुपये –
अंग्रेजी महारानी का आया था फरमान –
पूरी कहानी कुछ तरह से है कि जब अंग्रेजों को भारत के अन्दर अपने व्यापार को विस्तार देना था तो इंग्लैंड के अन्दर एक बड़ी मीटिंग हुई जिसके अन्दर यह तय हुआ कि अब भारत के अन्दर व्यापार को तेज करने के लिए रेल लाइन बिछाने का काम शुरू किया जाए. लेकिन अंग्रेजों के सामने समस्या यह थी कि वह इंग्लैंड से धन नहीं ले जा सकते थे. इसलिए उन्हों ने तय किया गया कि भारतीय राजाओं को बोलिए कि अंग्रेज आपको तकनीक तो देंगे किन्तु उसके लिए धन आपको देना होगा. असल में अंग्रेज लोगों की चालाकी ही, इनकी असली औकात थी. धन से तो यह लोग गरीब थे किन्तु अक्ल से यह लोग काफी तेज थे.
तो शुरू हुआ यह खेल – अंग्रेजों ने राजाओं से लिए करोड़ों रुपये
तो कहा जाता है कि भारतीय राजा अंग्रेजों को करोड़ों रुपैय बिना किसी ब्याज के दिया करते थे. इसी क्रम में जब मध्यप्रदेश के अन्दर रेल लाइन बिछाई जानी थी तो इंदौर के राजा महाराजा तुकोजीराव होलकर द्वितीय ने अंग्रेजों को कुछ 1 करोड़ रुपैय 101 साल के लिए कुछ 4 प्रतिशत की ब्याज से दिया था. यह बात कुछ 1870 से पहले की है क्योकि 1870 में इंदौर के अंदर रेल लाइन बिछाने का काम शुरू कर दिया था और 77 तक यह काम पूरा भी हो गया था. साथ ही साथ इस काम को करने के लिए महाराजा तुकोजीराव होलकर ने अंग्रेजों को जमीन भी फ्री दी गयी थी. अब असल में यह बात भारतीयों के लिए घमंड करने की नहीं है बल्कि अंग्रेजों ने एक तरह से भारत को बेवकूफ बनाया है.
अब आप यह देखिये –
अंग्रेजों ने राजाओं से लिए करोड़ों रुपये और इस बात को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया जा रहा है.
हाल ही में कई मीडिया ग्रुप्स ने यह बात भारत के लिए गर्व की बात कही थी.
लेकिन अंग्रेजों ने भारत के पैसों से रेल लाइन बिछाई थी और इसी रेल के दम पर इन्होनें भारत से खरबों रुपैय लूटे थे. जिस राजा से करोड़ लिए जाते थे उसे धन कुछ ही महीनों में वापिस कर दिया जाता था. भारत की जमीन जो किसानी के काम आती थी वह जमीन राजाओं ने फ्री में अंग्रेजों को दे दी थी और बाद में इसी जमीन से वह भारत की लूट कर रहे थे. इसका सीधा सा अर्थ तो यह हुआ ना कि अंग्रेजों ने बड़ी चालाकी से भारत को बेवकूफ बनाया और भारतीय राजा बिना दिमाग वाले निकले और वह लूट गये थे.
इस तरह अंग्रेजों ने राजाओं से लिए करोड़ों रुपये. अंग्रेज इन राजों से 100-100 साल के लिए ब्याज ले रहे थे और इससे साबित होता है कि अंग्रेजों ने तभी यह बात बोल दी थी कि अब हम कम से कम 100 साल भारत पर राज करेंगे.
आप खुद अनुमान लगा लें कि अंग्रेजों ने भारत से इस समय में कितना धन लूटा होगा.
तो अब इस पूरी घटना को क्या आप गर्व की बात कहेंगे या फिर यह घटना साबित करती है कि अंग्रेज वाकई में कितने समझदार थे?
आप हमें कमेंट कर जरुर बताएं कि इस तरह की घटना पर आपका नजरिया क्या है?
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