पुलिस अधिकारी – आमजन की सुरक्षा में पुलिस की अहम भूमिका होती है।
यदि हम रात में चैन की नींद सोते हैं तो यह देश के साथ ही शहर की सुरक्षा कर रहे जांबाजों की बदौलत मुमकिन हो पाता है। लेकिन आजकल अखबारों में पुलिस के दुर्व्यवहार व अमानवीयता से जुड़ी खबरें ही अधिक आती है। जिस वजह से एक आम आदमी का इन सुरक्षा के रखवालों पर से विश्वास उठता जा रहा है।
लेकिन कुछ बेईमानों की वजह से एक पूरे वर्ग की ईमानदारी पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। फिल्मों में नजर आने वाले ‘सिंघम’ और ‘दबंग’ असल जिंदगी में भी मौजूद है। इनके लिए अपनी ड्यूटी सबसे ऊपर होती है और नागरिकों की रक्षा के लिए ये अपनी जान तक दांव पर लगा देते हैं।
आज हम कुछ ऐसे मौकों की बात करेंगे, जब किसी पुलिस अधिकारी ने सबका दिल जीत लिया था।
पुलिस अधिकारी –
मुंबई की कमला मिल्स में आगजनी की घटना के दौरान पुलिस कांस्टेबल सुदर्शन अपने साथियों के साथ लोगों की मदद करने पहुंचे थे। इस दौरान कांस्टेबल शिंदे ने कई लोगों की जान बचाकर गजब की बहादुरी दिखाई। सुदर्शन ने तीन बार सातवें माले पर जाकर एक-एक कर तीन लोगों की जान बचाई थी।
हैदराबाद के इंस्पेक्टर आर. संजय कुमार व उनकी टीम ने 15 घंटे में अगवा किए गए एक 4 महीने के बच्चे को ढूंढ निकाला था। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की मदद से अपराधी की धरपकड़ की थी। घटना के बाद इंस्पेक्टर कुमार की बच्चे के साथ ली गई यह प्यारी सी तस्वीर बेहद वायरल हुई थी।
नागरिकों को सड़क सुरक्षा से जुड़े नियमों के बारे में जागरूक करने के लिए यातायात पुलिस कई तरह के प्रयास करती रहती है। 2017 में उत्तरप्रदेश पुलिस ने लखनऊ में ऐसे ही एक अनोखे प्रयास के तहत करवां चौथ के दिन उन महिलाओं को हेलमेट तोहफे में दिया था, जिनके पति बिना हेलमेट पहने गाड़ी चला रहे थे।
आए दिन सुनने में आता है कि फलां पुलिस थाने में फरियादी को बिना शिकायत दर्ज करवाए भगा दिया गया। मगर उत्तर प्रदेश में हुए इस अनोखे मामले में एक स्कूल कंडक्टर द्वारा 9 वर्षीय छात्रा के साथ दुर्व्यवहार किए जाने पर पुलिस ने खुद स्कूल प्रिंसिपल, स्टाफ व कंडक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज की। इतना ही नहीं दबाव में आकर पीड़िता के पिता द्वारा शिकायत वापस लेने के बावजूद पुलिस ने खुद से आरोपी पर कार्रवाई कर उसे सजा दिलवाई।
मध्यप्रदेश के सागर स्थित चितोरा गांव के हेड कांस्टेबल अभिषेक पटेल को एक स्कूल में तोप का गोला मिला था। कांस्टेबल बिना देर किए भागते हुए 10 किलो के गोले को 1 किलोमीटर दूर ले गए, ताकि बच्चों को कोई खतरा ना हो। राज्य सरकार ने पटेल को इस बहादुरी के लिए सम्मानित किया था।
बहादुरी और ईमानदारी के मामले में महिला पुलिस अधिकारी भी पीछे नहीं है। ठाकुर ने जरूरी कागजात ना होने पर एक बीजेपी लीडर का चालान बना दिया। जिसके चलते नेता समर्थकों ने हंगामा कर दिया। उन्होंने ‘पुलिस मुर्दाबाद’ के नारे भी लगाए, लेकिन ठाकुर को नहीं नहीं डिगा पाएं।
इन घटनाओं के बारे में पढ़कर आपके मन में भी पुलिस अधिकारी के लिए सम्मान बढ़ गया होगा। अगर आपको यह स्टोरी पसंद आई हो तो इसे शेयर जरूर कीजिएगा।
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