मजबूत इरादों वाली महिला IAS – भारत देश में महिलाओं की स्थिति कितनी अच्छी है ये तो हम सभी जानते हैं. आज समाज में महिलाएं हर मामले में सक्रिय हैं. देशभर में आज ऐसी कई महिला IAS ऑफिसर हैं, जिनके कारनामे लोगों के लिए प्रेरणादायक है.
हर तरह के चुनौतीपूर्ण कार्यों को चुटकियों में निपटा देती हैं देश की ये जिम्मेदार महिला IAS ऑफिसर. आज हम आपको देश भर की 10 उन मजबूत इरादों वाली महिला IAS ऑफिसरों के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने अपनी इमानदारी, लगन और अपनी मेहनत के बल पर समाज को बदलने का बीड़ा उठाया है.
आइए जानते हैं उन मजबूत इरादों वाली महिला IAS ऑफिसर के बारे में.
मजबूत इरादों वाली महिला IAS
1. कंचन वर्मा (2005 बैच की आईएएस)
साल 2005 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं. कंचन वर्मा इन्हें 20 अगस्त 2016 को कॉमनवेल्थ एसोसिएशन एंड मैनेजमेंट इंटरनेशनल इनोवेशंस अवार्ड से सम्मानित किया गया है. IAS ऑफिसर कंचन वर्मा ने साल 2012 में जब ये फतेहपुर में डीएम थीं, वहां सूख चुकी ठीठोरा झील और साथ हीं ससुर खदेरी नदी को पुनर्जीवित करने का सराहनीय कार्य किया था. बता दें कि ससुर खदेरी नदी की लंबाई 46 किलोमीटर थी. और जब कंचन वर्मा वहां की DM थीं तो इन्होंने 38 किलोमीटर तक इस नदी की खुदाई करवाई थी. जिस वजह से ये झील अपने पुराने रूप में आप आ पाई. और नदी 12 से 45 किलोमीटर की चौड़ाई में बहने लगी. बता दें कि प्रशासनिक क्षेत्र में बेहतरीन कार्य के लिए कंचन वर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों से सम्मानित भी किया जा चुका है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नजरों में कंचन वर्मा की इमेज एक इमानदार ऑफिसर की है.
2. डॉक्टर काजल (2008 बैच की आईएएस)
बेहद तेज-तर्रार अधिकारी डॉक्टर काजल साल 2008 बैच के IAS ऑफिसर हैं. काजल ने ‘मीनोपॉज हाइजीन मैनेजमेंट’ को लेकर एक सर्वे किया और उसी रिसर्च के परिणाम के आधार पर जिला पंचायती राज विभाग महोब्रा के तहत काजल अग्रवाल ने कुटीर उद्योग के द्वारा बहुत हीं कम दामों में सेनेटरी नैपकिन मुहैया करवाई.
3. दुर्गा शक्ति नागपाल (2009 बैच की आईएएस)
अपनी इमानदारी के लिए जानी जाने वाली दुर्गा शक्ति नागपाल साल 2009 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी के रूप में कार्यरत है. 25 जून 1985 को दुर्गा शक्ति नागपाल का जन्म हुआ. दुर्गा शक्ति ने नोएडा में बालू खनन माफिया के खिलाफ एक अभियान चलाया था. उन दिनों ये उप जिला अधिकारी के रूप में कार्यरत थीं. अपने कार्यकाल के दिनों में उन्होंने 1.36 करोड़ रुपए की राजस्व वसूली की थी. और साथहीन FIR भी दर्ज कराई. बालू खनन माफियाओं के खिलाफ चलाए गए अभियान की वजह से इन्हें काफी चर्चा मिली. और उन्हें निलंबित भी किया गया.
4. नीलम अहिलावत (2000 बैच की आईएएस, डीएम चित्रकूट)
‘कुपोषण पुनर्वास केंद्र’ के माध्यम से नीलम अहिलावत को कुपोषण को खत्म करने में सफलता मिली. साथ हीं कस्तूरबा गांधी विद्यालय में शिक्षिकाओं के लिए नीलम अहिलावत ने सोलर लैंप की व्यवस्था भी कराने का काम किया. इस काम को करने के बाद इन्हें काफी सराहना मिली. नीलम गरीबों को कंबल भी बांटने का काम करती हैं. गरीबों के प्रति उनके दिल में जो उदारता है वो हर किसी के लिए प्रेरणादाई है.
5. कामिनी रतन चौहान (उम्र, 43 साल)
1997 बैच की आईएएस ऑफिसर हैं. कामिनी रतन चौहान बुलंदशहर में DM के तौर पर कार्यरत रहते हुए मतदाताओं को जागरूक करने की खातिर कामिनी रतन चौहान ने सबसे बड़ी रंगोली बनवाया और कीर्तिमान स्थापित करने का काम किया. इसके लिए इन्हें उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के द्वारा ‘निर्वाचन आयोग बेस्ट इलेक्ट्रिकल प्रैक्टिसेज अवार्ड’ से भी सम्मानित किया गया था. कामिनी रतन चौहान अनाथ बच्चों को अच्छे स्कूलों में शिक्षा दिलाने के लिए प्रयास करती रही हैं. जिसके लिए उन्हें काफी सराहना मिली.
6. शुभ्रा सक्सेना (2009 बैच की आईएएस डीएम शाहजहांपुर)
पढ़ने में काफी मेहनती शुभ्रा सक्सेना ने जब सिविल सर्विसेस की तैयारियों के बाद परीक्षा दिया, तो परिणाम ने सबको चौंका दिया. पूरे देश में शुभ्रा सक्सेना ने टॉप किया था. शुभ्रा सक्सेना ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया जो असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सरकारी योजना का लाभ पहुंचाने वाला है. इसके द्वारा शुभ्रा सक्सेना ने मजदूरों से मोबाइल नंबर लेकर उन्हें इस योजना से जोड़ने की योजना.बनाई. और योजनाओं से संबंधित जानकारी SMS के जरिए भेजने की बात की. शुभ्रा सक्सेना अपनी तैनाती वाले जगहों ह
में इनोवेशन के लिए चर्चित रहती हैं.
7. रौशन जैकब (2004 बैच की आईएएस)
साल 2004 में रोशन जैकब में यूपीएससी की परीक्षा दी थी. गोंडा में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई सराहनीय कार्य किए. कानपुर में ‘शक्ति दिवस’ जो कि महिला सशक्तिकरण के लिए किया जाता है, उसकी शुरुआत रौशन जैकब ने हीं की थी. ‘शक्ति दिवस’ में यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न और भूमि विवाद जैसी घटनाओं को सुनवाई में रखा गया. रौशन जैकब के द्वारा शुरू की गई ये योजना काफी सफल रही. जिसके बाद सरकार ने इसे पूरे प्रदेश में भी लागू कराया.
8. सौम्या अग्रवाल (2008 बैच की आईएएस, डीएम उन्नाव)
देश के हर कोने में सौम्या अग्रवाल चर्चा में रहती हैं. इन्होंने ‘ई-अनुश्रवण’ नाम के प्रोजेक्ट तैयार किए हैं. इस प्रोजेक्ट के तहत सरकार द्वारा अलग-अलग विभागों में जो भी योजनाएं चलाई जा रही है, उसकी मॉनिटरिंग हो पाएगी. इस प्रोजेक्ट की मदद से धीमी गति से चल रहे काम को रफ्तार मिल पाएगी. वर्तमान में इस प्रोजेक्ट को उन्नाव में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है.
9. बी. चंद्रकला (2008 बैच की आईएएस, डीएम बुलंदशहर)
बी. चंद्रकला ने सिविल सेवा की परीक्षा में 409वीं रैंक प्राप्त की थी वर्तमान में चंद्रकला बुलंदशहर में जिला मजिस्ट्रेट के पद पर कार्यरत हैं. एक जनजाति परिवार से संबंध रखने वाली चंद्रकला का जन्म 27 सितंबर 1979 को हुआ था. नगर पालिका में करप्शन को उजागर करने के मामले में सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी वायरल हुआ था. जिसके बाद बी. चंद्रकला को काफी प्रसिद्धि मिलने लगी. सोशल मीडिया पर इन्हें इतने लाइक्स मिले कि उन्होंने CM को भी पछाड़ दिया. बेहद इमानदार, मेहनती और लगनशील डीएम चंद्रकला अपनी साफ-सुथरी छवि और व्यवहार कुशलता की वजह से लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैंं.
10. किंजल सिंह (2008 बैच की आईएएस, डीएम लखीमपुर)
काफी तेज-तर्रार अफसर के रूप में जानी जाने वाली किंजल सिंह 2008 में IAS में चुनी गई थींं. उनके काम करने के तरीके से जिले के आपराधिक किस्म के व्यक्ति डर के ही रहते हैं. किंजल सिंह थारू जनजाति की महिलाओं को मेनस्ट्रीम में लाने की विशेष प्रोजेक्ट पर काम कर रही हैं, जिसके तहत महिलाओं को लो कॉस्ट बिल्डिंग मटेरियल बनाने के साथ-साथ पेपर बनाने की कला और अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने की शिक्षा भी दी जाती है.
ये हैं वे मजबूत इरादों वाली महिला IAS ऑफिसर, जिनके काम करने के तरीके से आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने वाले लोगों के पसीने छूट जाते हैं. मजबूत इरादों वाली महिला IAS ने समाज के लिए भी इतने अच्छे-अच्छे सराहनीय कार्यों को अंजाम दिया है और दे रहींहै जो हर किसी के लिए प्रेरणादायक है.
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