संस्कृत लिपि दुनिया की सबसे पुरानी लिपि मानी जाती है.
कहते हैं कि संस्कृत का व्याकरण सभी लिपियों में सबसे ज्यादा सटीक और स्थिर है.
संस्कृत का व्याकरण इतना सटीक है कि कंप्यूटर में इस्तेमाल किए जानेवाले अल्गोरिथम अगर संस्कृत लिपि में फीड किए जाएं तो कंप्यूटर की क्षमता काफी हद तक बढ़ सकती है. संस्कृत ने कई युग देखें हैं.
वेदों से लेकर आज के स्कूलों की टेक्स्ट बुकों तक, संस्कृत हज़ारों सालों से जीवित रही है.
लेकिन अगर मैं कहूं की संस्कृत से भी पुरानी और प्राचीन एक लिपि थी जो आज के काल में एक तरह बिलकुल ही भुला दी गई है, तो आप की प्रतिक्रया क्या रहेगी?
यह लिपि है ‘ब्राह्मी लिपि’.
ऐसा कहा जाता है कि ब्राह्मी लिपि 10,000 साल पुरानी है लेकिन यह भी कहा जाता है कि यह लिपि उससे भी ज्यादा पुरानी है. कोई कहता है जब से यह ब्रम्हांड है, तब से ‘ब्राह्मी’ जीवित है. यह लिपि कहाँ से और कैसे आई, इसकी जानकारी का वर्णन कहीं नहीं किया गया है.
बहुत से विशेषज्ञ यह कहते हैं कि ब्राह्मी दुनिया की सभी लिपियों की पूर्वज है. स्वयं ‘संस्कृत’ भी ब्राह्मी का एक अंश है. एशिया और यूरोप की लगभग सभी लिपियाँ ब्राह्मी लिपि से ही प्रेरित हैं. ब्राह्मी लिपि, सम्राट अशोक के स्तंभों पर भी लिखी गई है. यानी यह लिपि तब के काल में भी चलन में थी.
कोई कहता है की यह लिपि उत्तर पश्चिमी एशिया से आई है तो कोई कहता है कि यह लिपि दक्षिण की तरफ से आई है लेकिन अंत में यही माना जाता है कि इसे भारतीय ही इस्तेमाल किया करते थे. यह भी हो सकता है कि इस लिपि का अन्य देशों में भी इस्तेमाल होता था.
आज के भारतीय, इस प्राचीन और महत्त्वपूर्ण लिपि को जानते भी नहीं होंगे.
युवाओं को इस देश की संस्कृति को संजोए रखने में रत्ती भर की भी कसर नहीं छोडनी चाहिए. ब्राह्मी एक बहुत ही प्राचीन और सबसे महत्त्वपूर्ण लिपियों में से एक है, हमारा कर्तव्य बनता है कि हम, लोगों को इसके बारे में जानकारी दें और इस लिपी को प्रसिद्धि की ओर, एक बार फिर ले चलें.